________________ // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // भमिऊण भवग्गहणे, दुक्खाणि य पाविऊण विविहाई / लब्भइ माणुसजम्मं, अणेगभवकोडिदुल्लभं तत्थ वि य केङ्गब्भे, मरंति बालत्तणम्मि तारुन्ने / अन्ने पुण अंधलया, जावज्जीवं दुहं तेसिं अन्ने पुण कोढियया, खयवाहीसहियपंगुभूया य / दारिदेणऽभिभूया, परकम्मकरा नरा बहवे ते चेव जोणिलक्खा, भमियव्वा पुण वि जीव ! संसारे। लहिऊण माणुसत्तं, जं कुणसि न उज्जमं धम्मे इय जाव न चुक्कसि, एरिसस्स खणभंगुरस्स देहस्स। जीवदयाउवउत्तो, तो कुण जिणदेसियं धम्म कम्मं दुक्खसरूवं दुक्खाणुहवं च दुक्खहेउं च / कम्मायत्तो जीवो, न सुक्खलेसं पि पाउणइ जह वा एसो देहो, वाहीहिं अहिट्ठिओ दुहं लहइ / तह कम्मवाहिघत्थो, जीवो वि भवे दुहं लहइ जायंति अपच्छाओ, वाहिओ जहा अपच्छनिरयस्स / संभवइ कम्मवुड्ढी, तह पावाऽपच्छनिरयस्स। अइगरुओ कम्मरिऊ, कयावयारो य नियसरीरत्थो / एस उविक्खिज्जतो, वाहि व्व विणासए अप्पं मा कुणह गयनिमीलं, कम्मविघायम्मि कि न उज्जमह / लभ्रूण मणुयजम्मं, मा हारह अलियमोहहया अच्चंतविवज्जासिय,-मइणो परमत्थदुक्खरूवेसु / संसारसुहलवेसुं, मा कुणह खणं पि पडिबंधं किं सुमिणदिट्ठपरमत्थ,-सुन्नवत्थुस्स करहु पडिबंधं ? . सव्वं पि खणियमेयं, विहडिस्सइ पेच्छमाणाणं . 20 // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // // 30 //