________________ भव्वत्तमित्थं किल तंबधाऊ, तंबत्तमक्खुद्दगुणाइभावो।। आणारसो सुद्धगुरु पसिद्धो, सुवण्णभावो अ जिआण मोक्खो // 39 // वेलाविहाणाइगुणोववेअं, करिज्ज चीवंदणमायरेण।। अवंझनिव्वाणफलं तिसंझं, पमोअरोमंचचिअंगुवंगो // 40 // जहोचिआओ किरिआउ हाणि, सयं च तेसिं च न पाउणंति। काले विहाणेण तुमं गुरूणं, करिज्ज पुज्जाणमुवासणं ति // 41 // . तहा असंदेहमणो सुणिज्ज, सिद्धंतसंसिद्धपयत्थसत्थं / कहिचि संदेहमुवागओ वि, बहुस्सुए तत्थं पमाणएज्जा // 42 // पयं पएणं परिसंठवितो, तयत्थणऽच्चत्थमणुस्सरंतो। संवेअनिव्वेअरसं फुसंतो सज्झायमज्झीणमणे धरिज // 43 // एवं च सामाइअमाइकिच्चे, लोगुत्तरे चत्तपमत्तभावो / उदग्गवेरग्गसमग्गचित्तो, जुत्तं ससत्तीइ[य] पव्वएज्जा // 44 // अक्खंडचंडानिलसंपणुण्ण-विलोलजालासयसंकुलम्मि। जहा पलित्तम्मि गिहे न जुत्तो, सुबुद्धिणो जागरओणुरागो // 45 // एमेवमच्चंतमभिदुअम्मि, जराइमच्चूइ भवम्मि निच्वं / विवेअवं निक्खमणिक्कचित्तो, ण रज्जए कत्थइ वत्थुभेए // 46 // अच्चंगसीलंगमणंगरंगभंगक्खमं चत्तसमत्थसंगो।। पउत्त (त्थ) जत्तो अहजुत्तमेव, कयाणुचारित्तमहं चरिस्सं // 47 // एवं सुचितापरमो गिहम्मि, वेसागिहावाससमं वसिज्जा / तुमं तओ अप्पडिबद्धभावो, णटे विणट्ठम्मि न झिज्झिसिति // 48 // विसुज्झमाणज्झवसायजोगा, कम्मे किलिट्ठम्मि पलीयमाणे / इटुं जसो चित्तजए सुहं च, सग्गोपवग्गो अ परत्थ होइ // 49 // तुम्हाणं भणिों मए जिणमउद्देसेण संखेवओ, एअं निम्मलधम्मकम्मविसए जोगत्तसूआपरं। . 22