________________ कयन्नुआ नाम गुणाण मूलं, दोसाण मूलं च कयप्पणासो / थेवं पि मन्नेज्ज परोवयारं, न सव्वहा निण्हवमायरेज्जा // 27 / / जम्मं च जीअं च तमेव चारुं, चं चेव चिंतिज्ज सलक्खणं च / जं मे परत्थम्मि समुज्जएक्कचित्तस्स साहेज्जकरं हवेज्ज // 28 / / विचिंतिऊणं निउणं हविज्ज, सव्वम्मि कज्जे लहु लद्धलक्खो / एवं चमक्कारकराइ होंति, विणा किलेसेण पओअणाइं // 29 / / एए गुणे धीर ! तुमं धरितो, गुणाण लोगुत्तरसंगयाण / अप्पाणमप्पेज्ज जमनहा ते, तदुब्भवत्तेण न चेव होंति // 30 // अकारणा णत्थिह कज्जसिद्धी, न याणुवाएण वयंति तण्णा / उवायवं कारणसंपउत्तो, साहेइ कज्जाइं पयत्तवं च // 31 // दुमम्मि पुर्फ च फलं च पच्छा, जहाकमेणेव रसप्पसिद्धी / भव्वे तहा लोगगुणा तओ अ, लोगुत्तरा सिद्धी सुहं च तत्तो // 32 // हेच्छुकत्थाण(कंडाण) रसो सहावा, सीओ सिणिद्धो महुरो अ होइ। एमेव एए सुकुलुग्गयाणं, भवंति पाएण गुणा जणाणं // 33 // जहा रसो सो परिकम्मणाओ, गुडाइपज्जाय परंपराए / वरि(वा)सोलगुप्पत्तिरसावसाणं, लहिज्ज मा होज्ज गुणं तहेव (?) 34 एआणमेते वि गुणा गुरूणं, चरित्तवंताण बहुस्सुआण / संसग्गओ पण्णवणागुणाओ, लोगुत्तरत्तेण परीणमंति // 35 / / लोगुत्तरे धम्मपहे पवण्णे, भवेज्ज सत्थुतविहिप्पहाणो / मोहंधयाराउलिअम्मि लोए, न सत्थदीवादपरो पयासो // 36 / / जिणाणमाणाणुगमेण हीणो, धम्मो न धम्मत्तणमावहेइ / पेच्छाच्छणो सिण्णविलोअणाणं,जहा सुचोक्खो वि न किंचिदेव // 37 / / तंबं जहा सिद्धरसाणुविद्धं, चइज्ज तंबत्तमसेसमेवं / / भवस्स रूवं विसमं पि भव्वा, आणापरीणामगुणाण जाण // 38 // 21