________________ जं दक्खो वि न पेक्खइ गुरुसिक्खाविरहिओ गुणविसेसं। . जह निम्मला वि चक्खू पयासरहिया ण घडपडाइ - // 19 // विउलो वि हेममउलो सुवनगारं विणा नं हेमत्तं / जह लहइ तहा भव्वो गुरुरहिओ भणियगुणनिवहं // 20 // कल्लाणमित्तमेकं गुणपालणपावणोवचयहेऊ / गिरिगुरुयगुणं सुगुरुं निच्चं ता पज्जुवासिज्जा // 21 // . इय गुणरयणपहाणा सकयत्था एत्थ चेव जम्मम्मि सरयससिसरिसजसभरभरियदिगंता जियंति सुहं // 22 // परलोए पुण कल्लाणमालियामालिया कमेणेव / अणुभूयचोक्खसोक्खा लहंति मोक्खं पि खीणरया // 23 // को नाम किर सकन्नो गुणेसु सुइजंत्तमेत्तसज्झेसु ? / / अप्पाणमगुणसंभा-वणा-मसी-मीसियं कुणइ // 24 // इय उवएसरसायणमुवणीयं आयरेण भव्वजणा ! / .. पिबह णणुअज्जचरियं जइ काउमणा मणागं पि. // 25 // विसउम्मग्गो वि एअमणुसासणंकुसं सिरसा। . . धरमाणो निअमेणं करीव मग्गं जिओ जाइ // 26 // // धम्मारिहगुणोवएसकुलयं // (उवजाइणिबद्धम्) जिणिंदचंदाण कमारविंदे, वंदित्तु संकंदणवंदणिज्जे / भणेमि संखेवमहं गुणाणं, धम्मारिहाणं किल जे जिआणं // 1 // लभ्रूणमाणुस्सभवं भवम्मि भवेज्ज भो भव्व ! भवा विरत्तो / धम्मे दढारूढमणो जमेत्तो, न सुंदरं किंचिदिहन्नमत्थि. // 2 // 18