________________ // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // गुरुदेवातिहिपूयणमपक्खवाएण णायदरिसित्तं / असदग्गहवजणया सपणयपुव्वाभिभासित्तं वसणम्मि सुधीरत्तं संपत्तीए अणुत्तणत्तं च / सगुणपसंसालज्जणमत्तुक्करिसस्स परिहारो नयविक्कमसालित्तं लज्जालुत्तं सुदीहदरिसित्तं / उत्तमकमवत्तित्तं पडिवनभरेक्कधवलत्तं उचियट्ठिइपरिवालणमदुराराहत्तणं जणपियत्तं / परपीडापरिहारो थिरया संतोससारत्तं / अणवरयगुणब्भासो परत्थ संपाडणिक्करसियत्तं / पयईए विणीयत्तं हिओवएसोवजीवित्तं गुरुजणरायाईणं अवनवायाइकारिपरिहरणं / . इहपरलोयावायाइचिंतणं चेव अइनिउणं एमाइगुणगणो उत्तमेहिं इहपरभवे वि हियहेऊ। अप्पाणयम्मि णिच्चं णिवेसियव्वो पयत्तेणं इय गुणजोगाऽऽराहिय सामनविहिं गिही अजत्तेणं / .. साहेइ विसेसविहिं पि नूणं तदवंझहेउ त्ति सामन्नगुणाऽसत्तो किमलं धरिउं नरो विसेसगुणे ? / न हु सरिसवं पि वोढुं असमत्थो मंदरं धरिही इय सामन्नगुणज्जणजुत्तो धीरो जएज्ज निच्चं पि / सुस्सावर्गसमणोचियगुणेसु तम्मूलगा जं ते तत्थ पुण विसेसगुणा अणुव्वयाई उ सावयाणुचिया / साहूण खमा मद्दव अज्जव मुत्ती पहाणाओ जह दुद्धं घेणूओ दुमाउ पुप्फ जलाउ जह कमलं / आयारपरबहुस्सुयगुरुसिक्खाओ तह गुणा वि 10 // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 //