________________ // 44 // * // 45 // // 47 // // 48 // // 49 // दायव्वाणि जईणं तु, जेण वुत्तं जिणागमे / पिंडं सिज्जं च वत्थं च, पत्तं सिज्जंभवेण उ . एवं सुबहुहा सुत्ते, वुत्तमत्थि जहट्ठियं / तहाऽववायओ वा वि, नाणासुत्तेसु दंसियं अच्वंतियाववाएण, किं पि कत्थइ जंपियं / गीयत्थो तारिसं पप्प, कारणं तं करेइ य तं करितो तहा सो वि, मज्जिज्जा नो भवण्णवे / एसा आणा जिणाणं तु, तं करितो तमुत्तरे वुत्तं सिद्धंतसुत्तेसु, गीयत्थेहि वि दंसियं / . तं मिच्छालंबणं होइ, सुलुपुटुं न सेसयं साहम्मियाण जो दव्वं, लेइ नो दाउमिच्छइ / संते वित्ते सगेहे वि, हुज्जा किं तस्स दंसणं ? सयं वा लिहिये दिन्नं, जाणतो वि हु जंपई। मया न लिहियं दिन्नं, न जाणामि त्ति मग्गिओ पच्चक्खं सो मुसावाई, लोए वि अपभावणं / . कुणतो छिंदई मूला, सो दंसणमहद्दुमं - सम्मं साहम्मिएणावि, राउलं देउलं करे। हीलयं धरणं जुझं, सो वि नासइ दंसणं साहू वा सावगो वा वि, साहुणी सावियाइ वा / बोडिप्पाया वि जे संति, गुरुधम्मदुमस्स ते पालणिज्जा पयत्तेणं, वत्थपाणासणाइणा / सायरं सो न तेसिं तु, कारिज्जा समुवेहणं जइ सो वि निग्गुणो नाउं, समईए वि निदइ / / सवाडी ओक्खया तेण, संती धम्मदुरक्खगा . // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // . // 54 // // 55 // 104