________________ वसहवाणीया जे सामनेणं तु कीरई तेसिं / . जंबुट्ठाणीयाणं तु जुत्तो संखेवओ सो वि .. // 20 // अट्ठाहियाइपव्वसु निज्जइ छत्तं गिहेसु जुत्तमिणं / सामन्नसाहुवत्थाइदाण दियहे न जुत्तं तं * // 21 // तदुत्तवयणासत्तो, विहाराइसु वट्टइ / अकहियो गुरुणा नेय, किं पि लेइ न मिल्हइ // 22 // ठविओ गुरुणा जत्थ, जो अज्जाईण पालगो। . तेण ताओ वि यऽज्जाओ, पालणिज्जा सुरू तओ // 23 // गुरुआणाइ वहतो, सो अज्जाहिं पि सायरं / गुरु व्व मन्नणिज्जु त्ति, तदुत्तकरणा सया // 24 // जइ को वि देइ अज्जाणं, वत्थाई सयणो तयं / / .. घित्तव्वं तं तदाणाए, ताहि समणीहिं नन्नहा // 25 // सयणाईहिं पि जं दिन्नं, तं तस्सप्पंति भावओ। जइ सो वि तासि तं देइ, तया गिण्हंति ताउऽवि // 26 // जइ तस्स न निवेयंति, तं गिण्हंति जहामई। . आणाभट्ठा तया अज्जा, पाविति य न मंडलिं // 27 // जइ सो न देइ अज्जाणं, लद्धवत्था उ लोहओ। सुगुरुत्ताउ चुक्के सो, मंडलिं पावए कहिं ? // 28 // देवस्सं नाणदव्वं तु, साहारणधणं तहा / सावएहिं तिहा काउं, नेयव्वं वुड्ढिमायरा // 29 // साहू वा साहुणीओ वा, कारित्ता नाणपूयणं / गिण्हंता तं सया जंति, आणाभट्ठा य दुग्गइं - // 30 // संजओ संजई सड्ढो, सड्ढी वा कलहंकरा / / चुकंति दसणाओ ते, होउं तदपभावगा // 31 // 102