________________ // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // पुरओ जस्स नऽन्नस्स, जओ हुज्जा विवाइणो / भवे जुगप्पहाणो सो, सव्वसुक्खकरो गुरू बारसंगाणि संघो वि, वुत्तं पवयणं फुडं / पासायमिव खंभु व्व, ते धरेइ सयाइ सो तदाणाए पयट्टतो, संघो भन्नइ सग्गुणो / वियप्पेण विणा सम्मं, पावए परमं पयं जिणदत्ताणमासज्ज, ज कीरइ तयं हियं / जो तं विलंघई मोहो, भवारण्णे भमेई सो पढणं सवणं झाणं, विहारो गुणणं तहा / तवोकम्मविहाणं च, सीवणं तुनणाइ वि भोयणं सुवणं जाणं, ठाणं दाणं निसेहणं / धरणं पुत्थयाईणं, आणाए गुरुणो सया तं कज्जं पि न कायव्वं, जं गुरूहि न मन्नियं / . गुरुणों जं जहा बिंति, कुज्जा सीसो तहा य तं वायणासूरिणो जुत्ता, निसज्जा एगकंबला। चउकी पुट्ठिवट्टो य, पायाहो पायपुंछणं पाएसु वंदणं जुत्तं, नो कप्पूराइखेवणं / साविया धवले दिति, एसो सुगुणदिक्खिओ पजिणवल्लहसीसो वायणायरिओ वि होइ जो कोई / कपूरवासविखवणं तस्स सिरे कीरई जुत्तं कीड वासनिक्खेवो, उवज्झायस्स संगओ। भक्खए य सकपूरे, नो दिज्जंति य तस्सिरे के सीहट्ठाणिओ सूरी, सो होइ पवयणपहु त्ति / अवयणफ्भावपट्ठा, तस्स पइसारओ कुज्जा // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // 101