________________ भावम्मिवि सुहगुरुपारतंतवसओ सयावि विसयम्मि / विहिणा जिणागमुत्तेण जेसि सम्मत्तपडिवत्ती. // // तेसि सुवाता (सा) ते हुंति परमपयवासहेउणो जेण / जणयाणं तप्पणगा सयलकिलेसंतकरणखमा .. // 4 // आययणमनिस्सकडं विहिचेइयमिह तिहा सिवकरं तु / उस्सग्गओऽववाया पासत्थोसन्नसन्निकयं . // 5 // आययणं निस्सकडं पव्वतिहीसुं च कारणे गमणं / इयराभावे तस्सन्निभाववुड्ढित्थमोसरणं, // 6 // विहिचेइयम्मि संते पइदिणगमणे य तत्थ पच्छित्तं / समउत्तं साहूणवि किमंगमबलाण सड्ढाण ? // 7 // मूलुत्तरगुणपडिसेविणो य ते जत्थ संति वसहीसु / तभणाययणं सुत्ते सम्मत्तहरं फुडं वुत्तं / // 8 // जत्थ वसंति मढाइसु चिइदव्वनिओगनिम्मिएसुं च / साहम्मिणुत्ति लिंगेण सा थली इइ पकप्पुत्तं तमणाययणं फुडमविहिचेइयं तत्थ गमणपडिसेहो / आवस्सयाइसुत्ते विहिओ सुस्साहुसड्ढाणं . // 10 // जो उस्सुत्तं भासइ सद्दहइ करेइ कारवे अन्नं / अणुमन्नइ कीरंतं मणसा वायाइ कारणं // 11 // मिच्छट्ठिी नियमा सो सुविहियसाहुसावएहिं तु / परिहरणिज्जो जइंसणेऽवि तस्सेह पच्छित्तं // 12 // धम्मत्थमन्नतित्थे न करे तवण्हाणदाणहोमाई / चिइवंदणं तिकालं सक्कत्थएणवि सयं काहं . // 13 // संपुन्नं चिइवंदण दो वाराओ करेमि छम्मासं / . . अट्ठसयं परमिट्ठीण सायरं तह गुणिस्सामि . // 14 // // 9 // 168