________________ पुनवंत विहिधम्मि जि लग्गहि ते परमत्थिण जीवहि जग्गहि / अप्पु समप्पहि ते न पमायह इहपरलोइ वि विहियावायह // 24 // तुम्हह इहु पहु चाहिलि दंसिउ हियइ बहुत्तु खरउ वीमंसिउ / इत्थु करेज्जहु तुम्हि सयायरु लीलइ जिव तरेहु भवसायरु // 25 // जहिं घरि बंधु जुय जुय दीसइं तं घरु पडइ वहंतु न दीसई / जं दढबंधु गेहु तं बलियउ जडि भिज्जंतउ सेसउ गलिउ // 26 // कज्जउ करइ बुहारी बद्धी सोहइ गेहु करेइ समिद्धी। जइ पुण सा वि जुयं जुय किज्जइ ता किं कज्ज तीए साहिज्जइ ? पुणवसु हत्थि चडइ सो चित्तह सोमु सूरु पुत्तु वि मावित्तह / जो किर चित्तह मज्झि न पविसइ जेट्ठह मूलि सु कहि किव होसइ ? लोहिण जडिउ जु पोउ स फुट्टइ चुंबुकु जहि पहाणु किव वट्टइ ? / नेय समुद्दह पारु सु पावइ अंतरालि तसु आवय आवइ // 29 // लोहिण रहिउ पोउ गुरुसायरु दीसइ तरंतु जइ वि जडवायरु / लाहउ करइ सु पारु वि पावइ वाणियाह धणरिद्धि वि दावइ // 30 // जो जणु सुहुगुरु-दिट्ठिहि दिट्ठउ तसु किर काई कारइ जमु रुट्ठउ? / जसु परमेट्ठि-मंतु मणि निवसइ सो दुहमज्झि कया वि न पइसइ 31 इय जिणदत्तुवएसु जि निसुणहि पढहि गुणहि परियाणवि जि कुणहि। ते निव्वाण-रमणी सहु विलसहि वलिउ न संसारिण सहु मिलिसिहि पू.आ.श्रीजिनदत्तसूरिविरचितम् ॥दर्शन नियमा कुलकम् // नमिऊणमणंतगुणं चउवयणं जिणवरं महावीरं / बडिवनदंसणाणं सरूवमिह कित्तइस्सामि तिविहा य हुंति वासा दुविहा ते हुंति दव्वभावेहिं / मस्मि दुहा तेऽविहु गामपवाहेसु विनेया // 1 // // 2 // 160