________________ मिच्छाइखए खइओ, सो सत्तगखीणि होइ बद्धाऊ। चउ-तिभवभाविमुक्खो तब्भवसिद्धी अ इअरों अ 3 // 18 // चउहा उ ससासाणं, गुलाइ वमणु व्व, मालपडणु व्व। . . . उवसमियाउ पडतो, सासाणो मिच्छमप्पत्तो 4 // 19 // वेयगजुअपंचविहं, तं तु दुपुंजखयम्मि तईयस्स। ... खयकालचरमसमए सुद्धाणुयवेयणे होइ 5 // 20 // . अंतमुहत्तोवसमो, छावलि सांसाण, वेयगो समओ। साहियतित्तीसायर खइओ, दुगुणो खओवसमो // 21 // उक्कोसं सासायण-उवसमिया हुंति पंचवारा उ। वेयग-खयगा इक्कसि, असंखवारा खओवसमो // 22 // बीयगुणे सासाणो, तुरियाइसु अट्ठिगार-चउ-चउसु / .. उवसमग-खयग-वेयग-खाओवसमा कमा हुति // 23 // तिस्सुद्धि३ लिंग३ लक्खण५ दूसण५ भूसण५ पभावगा८ ऽऽगारा 6 सद्दहण 4 जयण६ भावण६ ठाण. 6 विणय१०गुरुगुणाईयं // 24 // वित्थारं तुह समया संयासरंताण भव्वजीवाणं / . सामिय ! तुह प्पसाया हवेउ सम्मत्तसंपत्ती. // 25 // // 1 // // सम्मत्तुप्पायविहीकुलकम् // .. भुवणजणवंदणिज्जं वंदिअ दि(जि)अमाणमच्छरं वीरं / सम्मत्तुप्पायविहिं भणामि समयाणुसारेण दुविहत्तं सिद्धते सम्मुप्पायम्मि बिंति मुणिवसभा / तत्थ किल कोइ जीवो अहापवत्तेण करणेण // 2 // सुज्झित्ता जा गंठिं अपुव्वकरणं तओ पवज्जेइ। . . तं भिदंतो मिच्छत्तमोहणिज्जं तिहा कुणइ , // 3 // 148