________________ // 4 // // सम्यक्त्वकुलकम्-२ // *वेसागिहेसु गमणं, जहा विरुद्धं महाकुलवहूणं / जाणाहि तहा सावय ! सुसावगाणं कुतित्थेसु * || 1 // * भणइ जणो नारीणं सइत्तणं कत्थ वेसगिहगमणे ? / एवं कुतित्थगमणे, सम्मत्तं सावगस्स कहं ? // 2 // *किर धम्मम्मि य कुसलो, सुसावओ सो वि आगओ तत्थ / तम्हा एस पहाणो, सिवाय भणिओ जओ.धम्मो // 3 // * एवं तब्भत्ताणं थिरत्तणं कुणइ तत्थ वच्चंतो। वड्डेइ च मिच्छत्तं, स बोहिबीयं हणइ तेसिं * अन्नेसिं सत्ताणं मिच्छत्तं जो जणेइ मूढप्पा / सो तेण निमित्तेणं, न लहइ बोहिं जिणाभिहियं // 5 // चिंतामणि व्व लद्धं, सम्मत्तं कह वि पुण्णजोएणं / तं हारवेइ मूढो लोइयतित्थेसु वच्चंतो // 6 // * सो परमप्पाणं वि य, पाडेइ दुरुत्तरम्मि संसारे / मिच्छत्तकारणाइं जाव न वज्जेइ दूरेणं * दंसणविराहगाणं तल्लंभुक्कोसऽणंतकालाओ। तम्हा दंसणरयणं, सव्वपयत्तेण रक्खिज्जा अविरयसंजयवसहि, गमणाऽऽगमणं न तत्थ कायव्वं / जायइ जेणालावो, आलावा पीइ-पणउ त्ति // 9 // पीए वि हु दक्खिण्णं, दक्खिण्णे उचियकज्जपडिवत्ती। तीए संथवणाई कीरंती पुणपुणो ताणं // 10 // तेहिं कीरंतेहिं, सम्मत्तं इत्थ दूसियं होइ। .. . सम्मत्तदूसणाए नासइ जिणदेसिओ धम्मो . // 11 // // 8 // 135