________________ एवं ठियस्स सययं मम मणभावस्स पत्तियइ कों वा? | पच्चाइएण किं वा ? अप्प च्चिय सक्खिओ एत्थ - // 39 // जं पुण वायाए च्चिय भणामि कारण कि पि न करेमि / तत्थऽस्थि गरुयदुक्खं मणमंदिरसंठियं मज्झ .. // 40 // सुद्धालोयणदाणं काउं मित्तिं च सव्वसत्तेसुं। . .. अप्पाणं गरिहंतो भावेमु अहं कया तत्तं / 41 // एगं चिय मह सल्लइ जन्नं सहाए लहामि मणइटे। एवं झायंतस्स उ को जाणइ कि पि होहि त्ति // 42 // आणंदं दाऊणं समग्गसंघस्स गहियआसीसो / अप्पाणं भावेतो विहरेमु जया तया अहयं // 43 // अह कह वि जाइ दियहं रत्ती न हु जाइ अप्पचिंताए / थोवजले मच्छस्स व तल्लोवलिं कुणंतस्स // 44 // चेयहु ! चेयहु !! चेयहु !!! हं हो मूढमइ !, कहिय कहाणिय सव्वप्पयारेहिं तुम्ह माइ / हियडइ ताविय पुण पुण सोढे सहु धरणि, . परित न को ण वि होसइ तर्हि पत्तइ मरणि // 45 // हियडइ रंगु न जाह तहं सउं बकुसु पडिहाइ। ' जइ पुण केवइं रंगु तउ नयणिहिं नीरु न माइं . // 46 // जलणसमं कामीणं नीरसलोयाण तुसवुससमाणं / विरयाणं अमियसमं एयं सव्वं पि जं भणियं गंतव्वं कत्थ मए कहि एसो वंदिणो य जिये लोआ / कह माइसयणविहवो इय झूरसि हा ! हयासतया // 48 // एयाए भावणाए जइ अवसाणं पि मज्झ किर होज्जा। ता अहयं चिय धन्नो न हु अन्नं पत्थणिज्जंति . . // 49 // 100 // 47 //