________________ // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // / // 34 // // 35 // विषयाविक्खो निवडइ, निरविक्खो तरइ दुत्तरभवोहं / देवीदीवसमागय भाउअजुअलेण दिळंतो जं अइतिक्खं दुक्खं, जं च सुहं उत्तमं तिलोअम्मि। तं जाणसु विसयाणं, वुड्ढिक्खयहेउअं सव्वं इंदियविसयपसत्ता, पडंति संसारसायरे जीवा / पक्खि व्व छिनपक्खा, सुसीलगुणपेहुणविहुणा न लहइ जहा लिहतो, मुहल्लियं अट्ठिअं जहा सुणओ। सोसइ तालुअरसिअं, विलिहंतो मन्नए सुक्खं महिलाण कायसेवी, न लहइ किंचिवि सुहं तहा पुरिसो। सो मन्त्रए वराओ, सयकायपरिस्समं सुक्खं सुठु वि मग्गिज्जंतो, कत्थ वि कयलीइ नत्थि जह सारो। इंदियविसएसु तहा, नत्थि सुहं सुठ्ठ वि गविटें सिंगारतरंगाए, विलासवेलाइ जुव्वणजलाए। . के के जयम्मि पुरिसा, नारीनईए न बुड्डंति सोअसरी दुरिअदरी, कवडकुडी महिलिया किलेसकरी / वइरविरोयणअरणी, दुक्खखणी सुक्खपडिवक्खा अमुणिअ मणपरिकम्मो, सम्मं को नाम नासिउं तरइ। वम्महसरपसरोहे, दिट्ठिच्छोहे मयच्छीणं . परिहरसु तओ तासिं, दिठिं दिह्रिविसस्स व्व अहिस्स / जे रमणिनयणबाणा, चरित्तपाणे विणासंति . सिद्धंतजलहिपारंगओ. वि, विजिइंदिओ वि सूरो वि।। दढचित्तो वि छलिज्जइ, जुवइपिसाइहिं खुड्डाहिं मयणनवणीयविलओ, जह जायइ.जलणसंनिहाणम्मि। तह रमणि-संनिहाणे, विद्दवइ मणो मुणीणं पि // 36 / / // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 //