________________ विवरीआइ सत्त वि केवलिणो हुंति लिंगभूआइ। सो केवली वि केवलजुत्तो अहवित्थ तदभिभुहो // 9 // पढमो खलु सव्वन्नू-बीओ पुण खीणमोहओ होइ / जइ वि अणाभोगो से विहलो मोहस्स विरहेण // 10 // छउमत्थो ते वि दुवे जाणइ लिंगेण लिंगविण्णाणं / पच्चक्खपरोक्खेहिं दोहिं पमाणेहिं विण्णेअं // 11 // इंदिययं पच्चक्खं परोक्खमणुमाणमाइअं होइ / अणुमाणं पुण मिच्छाकारप्पमुहेहि लिंगेहि // 12 // णाणावरणाभावे लेसो दोसस्स णेव णाणस्स / जह तह चरित्तमोहाभावा दोसो ण चरणस्स // 13 // जं हेओवादेअं केवलिणो णेव णाणमाहप्पा / सव्वत्थ उदासिण्णं वंजगमिहमासवाभावे // 14 // हेए आसवसत्ता णेए संते ण होइ सव्वन्नू / संतम्मि उवादेए कयकिच्चो केवली ण हवे // 15 // हिंसा वि दव्वओ खलु हेआणुचिया कह णु भावजुआ। सा जइ जिणस्स हुज्जा ता सो उवएसणिज्जो उ // 16 // उवएसो पुण एवं असंजओ संजओ वि तुह भणिओ। जाणं तु जीववहगो ता कहमेअं तुहं जुत्तं // 17 // सव्वसमक्खं सव्वं सावज्जं जोगमेव परिचइउं / तं चिअ संकारहिओ सेवंतो किं न लजेसि // 18 // जं तं सेवंतस्स उ केवलिणो तिण्णि हुंति असमाणा / जीववहा. 1 लिअ 2 वीसासघाय 3 संण्णा परावण्णो . // 19 // एवं छउमत्थमुणी ण दोसवंतो हविज्ज कइआ वि। जम्हा रागद्दोसा-णाभोगा संविभागपरा // 20 //