________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // सप्पे दिढे नासइ लोओ नहु कोइ कि पि अक्खेइ / जो चयइ कुगुरुसप्पं हा मूढा ! भणइ तं दुटुं सप्पो इक्कं मरणं कुगुरु अणंताई देइ मरणाई / तो वरि सप्पं गहिउँ मा कुगुरुसेवणं भद्द जिण आणा वि चयंता गुरुणो भणिऊण जं नमिज्जंति / ता किं कीरइ लोओ छलिओ गडरिपवाहेण निद्दक्खिन्नो लोओ जइ कुविमग्गेइ रुट्टिया खंडं / कुगुरूण संग चयणे दक्खिन्नं ही महामोहो किं भणिमो किं करिमो ताण हयासाण धिट्ठदुट्ठाणं / जे दंसिऊण लिंगं खिवंति नरयम्मि मुद्धजणं कुगुरू वि संसिमो हं जेसि मोहाइ चंडिमा दर्छ। सुगुरूणमुवरि भत्ती अइनिबिडा होइ भव्वाणं जह जह तुट्टइ धम्मो जह जह दुट्ठाण होइ इह उदओ। सम्मदिट्ठिजियाणं तह तह उल्हसइ सम्मत्तं जयजंतुजणणितुल्ले अइउदओ जं न जिणमए होइ। तं किटकालसंभव-जियाण अइपावमाहप्पं धम्मम्मि जस्स माया मिच्छत्तगहो उस्सुत्त नो संका। कुगुरुवि करइ सुगुरू विउसो वि स पावपुन त्ति किच्चं पि धम्मकिच्चं पूयापमुहं जिणिदआणाए / भूयमणुग्गहरहियं आणाभंगाओ दुहदायं कटुं करंति अप्पं दमंति दव्वं चयति धम्मत्थी। इक्कं न चयइ उस्सुत्त-विसलवं जेण बुड्डंति सुद्धविहिधम्मरागो वड्डइ सुद्धाण संगमे सुयणु / सो वि य असुद्ध संगे निउणाण विगलइ अणुदियहं 273 // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 //