________________ सकहा सो उवएसो तं नाणं जेण जाणए जीवो। . सम्मत्तमिच्छभावं गुरुअगुरूधम्मलोयठिई // 24 // जिणगुणरयणमहानिहिं लभ्रूण वि किं न जाइ मिच्छत्तं / अह पत्ते वि निहाणे किविणाण पुणो वि दारिदं // 25 // सो जयइ जेण विहिया संवच्छरचाउमासियसुपव्वा / निद्धंधसाण जाइ जेसि पभावओ धम्ममई // 26 // नाम पि तस्स असुहं जेण निदिट्ठाई मिच्छपव्वाई। जेसिं अणुसंगाओ धम्मीण वि होइ पावंमई . // 27 // मज्झठिई पुण एसा अणुसंगेणं हवंति गुणदोसा। उक्किट्ठपुनपावा अणुसंगेणं न धिप्पंति // 28 // अइसयपावियपावा धम्मियपव्वेसु तो वि पावरया / न चलंति सुद्धधम्मा धन्ना किवि पावपव्वेसु // 29 // लच्छी वि हवइ दुविहा एगा पुरिसाण खवइ गुणरिद्धी / एगा य उल्हसंति अपुनपुत्राणुभावाओ // 30 // गुरुणो भट्ट जाया सड्डे थुणिऊण लिंति दाणाई। दुन्नि य अमुणियसारा दूसमसमयम्मि बुडति // 31 // मिच्छपवाहे रत्तो लोओ परमत्थजाणओ थोवो / गुरुणो गारवरसिया सुद्धं मग्गं निगृहंति // 32 // सव्वो वि अरिहं देवो सुगुरू गुरू भणइ नाममित्तेण। तेसिं सरूवं सुहयं पुण्णविहूणा न याणंति // 33 // सुद्धा जिणआणरया केसि पावाण हुंति सिरसूलं / जेसिं ते सिरसूलं केसि मूढाण ते गुरुणो // 34 // हा हा गरु अकज्जं सामी नहु अत्थि कस्स पुक्करिमो। कह जिणवयणं कह सुगुरुसावया कहइ य अकज्जं // 35 // 212