________________ // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // कयसुअनाणाविक्खा, ववहारं दिति ओहिमणनाणी। केवलनाणेणं चिय, केवलनाणी तयं दिति पच्चक्खागमसरिसो, होइ परोक्खागमो अ ववहारो / चउदसदसपुव्वीणं, नवपुब्वियगंधहत्थीणं ते जाणंति जह जिणा, दव्वं खित्तं च काल भावं च / वुड्ढि वा हाणि वा, रागद्दोसाण पच्छित्ते थोवं बहुं च दिति उ, आगमिआ रयणवणिअदिटुंता / पारुक्खी जं जाणइ, दिटुंतो तत्थ धमएणं पच्छित्तं दिति इमे, आगमआलोअणाण तुल्लत्ते / साहेति पुणो दोसे, मायासहिए ण साहिति चउदसपुव्वधरेणं, णिज्जूढं भद्दबाहुणा सुत्तं / . ववहारो सुअणामा, दुवालसंगस्स णवणीयं सल्लुद्धरणाभिमुहो, अबलो अपरक्कमस्स गीअस्स / मइधारणासु निउणं, सींसं पेसेइ पासम्मि सो गीओ तं सीसं, आणापरिणामगं परिच्छिज्जा / पेसेइ बुहं णाउं, उवट्ठियालोअणं सोउं सो पुण तस्स सगासे, करेइ सोहिं पसत्थजोगेणं / दुगतिग चउसु विसुद्धं, तिविहे काले वियडभावो दुविहा उ दप्प कप्पे, तिविहा नाणाइआण अट्ठाए। दव्वे खित्ते काले, भावे अ चउव्विहा सोही आलोइज्जा काले, तीयपडुप्पन्नणागए तिविहे। अइआरे वयछक्काइआण अट्ठारसण्हं पि दप्पस्स य कप्पस्स य, दस चउवीसं च हुंति खलु भेआ। णायव्वा ते एए, अहक्कममिमाहिं गाहाहिं // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // . 18