________________ // 1 // // 4 // चतुर्थशतकप्रकाशः अमृतात्माऽमृतोद्भूतोऽमृतस्रष्टाऽमृतोद्भवः / अमृतौघोऽमृताधारोऽमृताङ्गो ऽमृतसंस्थिति: कृतज्ञः कृतकृत्यश्च कृतधर्मा' कृतक्रतुः१२ / कृतवेद:१३ कृतात्मा च संस्कृताप्ति५ रसंस्कृत:१६ // 2 // भावः१७ स्वभावो८ निर्वर्गो१९ मुख्यवर्गो२०ऽपवर्गभाग / सत्ता पदार्थ:२३ पूर्णार्थो४ लक्षणार्थ२५ स्त्रिलक्षण:२६ // 3 // पद्मेश:२७ पद्मसम्भूति:२८ पद्मभू:२९ पद्मविष्टर:३० / हृत्पद्मस्थो३१ महापद्म:३२ पद्म:३३ पद्मासनोदय:३४ हिरण्यगर्भ:३५ श्रीगर्भो२६ विरञ्चि टुंहिणश्च क:३९ / वेदगर्भ:४० शतानन्द:४१ पुराणज्ञ:४२ पुराणग:४३ विश्वरेता हंसगति५ महाहंसश्च 6 हंसराट् / प्रजापति:४८ प्रजानाथो 9 हिरण्येशो हिरण्मय:५१ // 6 // हृषीकेशो२ नभ:केश:५३ स्थास्नु जिष्णु:५५ पितामह:५६ / भिषग्वरोऽगदकारो८ वैद्यो९ ध्वस्तगदो ऽगद:६१ / वरद:६२ पारद:६३ श्रीद:६४ सिद्धिदः६५ सर्वशर्मद:६६ / वर्षीयान्६७ वृषभो६८ वर्षो६९ वृषकेतु वृषध्वज:०१ महाबोधि२ वर्द्धमानो३ महर्द्धि वृद्धिलक्षणः / अहानि-वृद्धि स्तुल्यात्मा त्रिलिङ्गोऽतिस्त्रिलिङ्गक:७९ // 9 // निरक्षः कृतभूरक्षोर रक्षोहन्ता 2 स्वरक्षित:८३ / आत्मेक्षणः४. क्षणमय:५ शुभंयु:६ पुष्कलेक्षण:५७ // 10 // त्रयीमय स्त्रयीकेतुर्धारावाही त्रयीधर:१९ / त्रयीतेजोमय स्त्रेता 3 दशपारमितेश्वर:९४ // 11 // // 7 // // 8 // 219