________________ // 4 // . ॥सामाचारी // जह मुणिसामायरि संसेविय परमनिव्वुई पत्तो / तह वद्धमाणसामिय ! होमि कयत्थो तुह थुईए // 1 // सापज्जजोगविरओ तुज्झ तिगुत्तो सुसञ्जओ समए / आया सामाचारी समायरन्तो अं उवउत्तो // 2 // एसा णिच्छयणयओ इच्छाकाराइगेज्झपरिणामो / ववहारओ अ दसविहसद्दपओगो मुणेअव्वो // 3 // इच्छामिच्छातहक्कारो आवसिया य णिसीहिया / आपुच्छणा य पडिपुच्छा छन्दणा य णिमन्तणा उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ। एएस अयमट्ठो तुह सिद्धन्ते मए दिट्ठो जं णियणियकज्जम्मी इच्छासंपच्चयत्थ विहिवक्कं / सो खलु इच्छाकारो तहा पहण्णा य परकज्जे अब्भत्थणाविहाणे इच्छाकारो समुचिओ दोण्हं / आराहणमाणाए गुरूण ठिइपालणं च जओ उच्चांगोअविहाणं अभिओगणिमित्तकम्महाणी अ। सासणमाणो अहवे एत्तो च्चिय हंदि सुहभावा // 8 // ण य केवलभावेणं हियकज्जे वीरिअं णिगृहंतो। विरियायारविसोहियचरणोचियणिज्जरं पावे // 9 // अब्भत्थिएण वि इमो एत्तो च्चिय णेव णिप्फलो कज्जो / कारणदीवणयाए कज्जो व इमो असत्तीइ // 10 // अणिगूहियबलविरएण साहुणा ताव जेण होयव्वं / अब्भत्थणा ण कज्जा तेण विणा कज्जमुक्किट्ठ // 11 // // 7 // -30