________________ गच्छे वि धम्मविणयं जत्थुत्तरियं लभिज्ज अण्णत्थ / आपुच्छित्तु विहारो तत्थ जओ भासिओ कप्पे // 192 // संविग्गविहारीणं किं पुण तेसिं महाणुभावाणं / अह उवसंपयाणं कप्पिअभव्वोवयाराणं // 193 // धम्मविणओ वि तेसिं आपुच्छिय.पट्ठिआण जह परमो / तह तेहिं ठाविअस्स वि णायव्वो पंथगमुणिस्स . // 194 // एसो वि अ सिढिलो 'त्ति य पडिमारिमयं हयं हवइ इत्तो / जं साहूहि ण सिढिलो तक्कज्जे अणुमओ होइ // 195 // कप्पिअसेवालद्धावगासदप्पेण सेलगस्सावि। . .. सिढिलत्तं ण उ भंगे मूलपइन्नाइ जं भणिअं // 196 // सिढिलिअसंजमकज्जा वि होइडं उज्जमंति जइ पच्छा। संवेगाओ तो सेलओ व्व आराहया होंति // 197 // पासत्थयाइदोसा सिज्जायरपिंडभोअणाइहिं / उववाइओ य इत्तो. णायज्झयणस्स वित्तीए . // 198 // अब्भुज्जओ विहारो एत्तो च्चिय मुत्तु तेण पडिबंधं / पडिवन्नो मूलाई वयभंगो पुण जओ भणिअं // 199 // छेअस्स जाव दाणं ता वयमेगं पि णो अइक्कमइ / एगं अइक्कमंतो अइक्कमे पंच मूलेणं // 200 // उववज्जइ उत्तरगुणविराहणाए अहीलणिज्जत्तं / जह उ सुकुमालिआए ईसाणुववायजोग्गाए // 201 // णिक्कारणपडिसेवा चरणगुणं णासइ त्ति जं भणिअं। .. अज्झवसायविसेसा पडिबंधो तस्स पच्छित्ते // 202 // इय गुणजुयस्स गुरुणो दुट्ठमवत्थं कयाइ पत्तस्स / सेवा पंथगणाया णिद्दोसा होइ णायव्वा // 203 // 34