________________ जायइ गुणेसु रागो पढमं संपत्तदंसणस्सेव / किं पुण संजमगुणओ अहिए ता तम्मि वत्तव्वं // 120 // गुणवुड्डिइ परग्गयगुणरत्तो गुणलवं पि संसेइ / तं चेव पुरो काउं तग्गयदोसं उवेहेइ // 121 // जह अइमुत्तयमुणिणो पुरोकयं आगमेसिभद्दत्तं / थेराण पुरो न पुणो वयखलिअं वीरणाहेणं . // 122 // एत्तो च्चिय किइंकम्मे अहिगिच्चालंबणं सुअब्भुदयं / गुणलेसो वि अहिगओ जं भणिों कप्पभासम्मि. // 123 // दंसणनाणचरित्तं तवविणयं जत्थ जत्तिअं पासे / . जिणपन्नत्तं भत्तिइ पूअए तं तहिं भावं // 124 // परगुणसंसा उचिया अनण्णसाहारणत्तणेण तहा / जह विहिआ जिणवइणा गुणनिहिणा गोअमाईणं // 125 // परगुणगहणावेसो भावचरित्तिस्स जह भवे पवरो / दोसलवेण वि निअए जहा गुणे निग्गुणे गुणइ // 126 // पडिबंधस्स न हेऊ णियमा एयस्स होइ गुणहीणो / सयणो वा सीसो वा गणिव्वओ वा जओ भणिअं // 127 // सीसो सज्झिलओ वा गणिव्वओ वा न सोग्गइं गेइ / जे तत्थ नाणदंसणचरणा ते सुग्गईमग्गो // 128 // करुणावसेण नवरं ठावइ मग्गम्मि तं पि गुणहीणं / अच्चंताजुग्गं पुण अरत्तदुट्ठो उवेहेइ // 129 // गुणरागी य पवट्टइ गुणरयणनिहीण पारतंतम्मि। . सव्वेसु वि कज्जेसु सासणमालिन्नमिहरा उ // 130 // . तेण खमासमणाणं हत्थेणं ति य भणंति समयविऊ / अवि अत्तलद्धिजुत्ता सव्वत्थ वि पुण्णमज्जाया // 131 // 28