________________ // 11 // // 12 // // 13 / / // 14 // आपला हा, बमचरण बभणी। // 15 // // 16 // जह नयरं गंतुमणो कोई भीमाडविं पवेसेज्जा। पंथसमासग्गाही अपरिक्खियपंथसब्भावो पंथसरिसा कुपंथा बहुं च कणयसरिसं नय सुवन्नं। धम्मसरिसो अहम्मो नायव्वो बुद्धिमंतेहिं जो न हिंसइ सो धम्मो, जो न भुंजइ सो तवो। जो न लुब्भइ सो साहू, जो न रूसइ सो मुणी न य मुंडिएण समणो, न ओंकारेण बंभणो। न मुणीऽरनवासेण, कुसचीरेण न तावसो तवेण तावसो होई, बंभचेरेण बंभणो। पावाइं परिहरंतो, परिव्वाओ त्ति वुच्चइ तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ न होइ पावमणो / सयणे य जणे य समो समो य माणावमाणेसु नत्थि अ सि कोइ वेसो पिओ य सव्वेसु चेव जीवेसु / एएण होइ समणो एसो अन्नो वि पज्जाओ .. जाई वि अप्पमाणा कुलववएसो विसुद्धओ जम्मो। पंडिच्चं पि पलालं, सीलेण विसंवयंतस्स वेया वागरणं वा भारह रामायणं पुराणाई। जइ पढइ जीववहओ दुग्गइगमणं फुडं तस्स किं ताए पढियाए पयकोडीए पलालभूयाए ? / जस्थित्तियं न नायं परस्स पीडा न कायव्वा छंदसरसद्दजुत्ते वि पवयणे सक्कअक्खरविचित्ते। . धम्मो जेहिं न नाओ नवरि तुसा खंडिया तेहिं समविसमं पि पढंता विरया पावेसु सुग्गइं जंति। . सुठु वि सक्कयपाढा दुस्सीला दुग्गइं जंति / // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // 46