________________ पंच उ अणुव्वयाई, थूलगपाणवहविरमणाईणि / उत्तरगुणा उ अण्णे, दिसिव्वयाइं इमेसिं तु // 72 // भंगसयं सीयालं तु, विसयभेएण गिहिवयग्गहणे / तं च विहिणा इमेणं, विन्नेयं अंकरयणाए // 73 // तिण्णि तिया तिण्णि दुया, तिण्णिक्किक्का य होति जोगेसुं / ति दु एक्कं ति दु एक्कं, ति दु एक्कं चेव करणाइं // 74 // तिविहं तिविहेणिक्को, एगयरतिगेण भंगया तिन्नि / तिगरहिए नव भंगा, सव्वे उण अउणपन्नासा // 75 // कालतिएण य गुणिया, सीयालसयं तु होइ भंगाणं / विसयबहिं भंगतियं, चोयालसयं सविसयम्मि // 76 // संभवमहिगिच्चेयं, नियविसओ भरह आरियं खंडं / तस्स बहिं सव्ववया, साहुसरिच्छा सविगिहीणं // 77 // थूलगपाणवहस्सा, विरई दुविहो य सो वहो होइ / संकप्पारंभेहिं, वज्जइ संकप्पओ विहिणा . // 78 // गुरुमूले सुयधम्मो, संविग्गो इत्तरं व इयरं वा / वज्जित्तु तओ सम्मं, वज्जेइ इमे अईयारे // 79 // बंधवहछविच्छेयं, अइभारं भत्तपाणवोच्छेयं / कोहाइदूसियमणो, गोमणुयाईण नो कुज्जा .. // 80 // थूलमुसावायस्स य, विरई सो पंचहा समासेण / कण्णागोभूमालियनासहरणकूडसक्खिज्जे // 81 // इह सहसब्भक्खाणं, रहसा य सदारमंतभेयं च / मोसोवएसयं कूडलेहकरणं च वज्जेज्जा // 82 // थूलादत्तादाणे, विरई तं दुविह मो उ निद्दिटुं / सच्चित्ताचित्तेसुं, लवणहिरण्णाइवत्थुगयं // 83 // . .. 41