________________ // 478 // जइ हुंति पव्वयाणं पुत्ता धूआ कुडंबधम्मो वा / तो तं इमम्मि लोए जंबूदीवे ण माइज्जा एयाइं चप्फलाइं भारह-रामायणे णिबद्धाइं / संचालणमसहंता जह जुत्तिकयं सुवण्ण व्व // 479 // एअं लोइअसत्थं गद्दहलिंड व्व बाहिरे मटुं। . जावंतं जोइज्जइ तुस-भुस-बुसमीसियं सव्वं // 480 // तो ते भणामि सव्वे कुसमयकुस्सुइपहेण मुत्तूण / सव्वण्णदेसिअम्मि अ लग्गह मग्गे पयत्तेणं // 481 // एअं धुत्तक्खाणं सोऊणं लोइअस्स परमत्थं / ... तह कुणह णिच्छिअमई जह दंसणसुद्धि होइ परा // 482 // चित्तउडदुग्गसिरिसंठिएहि सम्मत्तरायरत्तेहिं / सुचरिअसमूहसहिआ कहिआ एसा कहा सुवरा // 483 // सम्मत्तसुद्धिहेउं चरिअं हरिभद्दसूरिणा रइअं / णिसुणंतकहताणं 'भवविरहं' कुणउः भव्वाणं . // 484 // सेअंबरवरसूरी हरिभद्दो कुणउ अम्ह भद्दाई। जस्स ससिसंखधवले जिणागमे एरिसा भत्ती // 485 // // 1 // // धूमावली // असुरिंदसुरिंदाणं किन्नरगंधव्वचंदसूराणं / विज्जाहरियसुराणं सजोगसिद्धाण सिद्धाणं मुणियपरमत्थवित्थर-विगिट्ठविविहतवसोसियंगाणं / . सिद्धिवहुनिब्भरुक्कंठियाण जोगीसराणं च जे पुज्जा भगवंतो तित्थयरा रागदोसतमरहिया / विणयपणएण तेसिं समुद्भुओ मे इमो धूओ / 305 // 2 //