________________ सिट्ठी वाउलचित्तो पुणो पुणो तीइ उच्चरंतीए / रुसिओ भणेइ पुरिसे सिग्धं णीणेह दमिअ त्ति . // 454 // णिग्गच्छसु त्ति भणिआ अह जंपइ मा च्छिवऽस्स बालस्स / अण्णं ठाणं बप्पिक्कयं ति तो मे म पिल्लेह // 455 // णिग्गच्छेउं णिच्छइ तेहिं अ पुरिसेहिं पिल्लिया सहसा / धरणीअले णिवडिआ भणइ महं मारिओ पुत्तो // 456 // हा मज्झ अणाहाए णाहो होहि त्ति चिंतयंतीए / सो वि मणोरहतंतू छिण्णो णिच्छित्तगत्तेहिं // 457 / / भो पिच्छह जणसमुदय इमेण धणगव्विएण वणिएण। .... अट्ठारसदोसविवज्जियाइ माराविओ पुत्तो // 458 / / अह पहरिउमारद्धा सीसे अ उरे अ सा असाहारं / भणइ अ सिट्ठी मज्झं भग्गं भिक्खाकवालु त्ति // 459 // तो सिट्ठी आदण्णो सव्वपयत्तेण परियणसमग्गो / अणुणेइ विलवमाणी करेह मां सुअणु बोलं ति // 460 // दिण्णा य कण्णिआ से भणिआ चित्तूण वच्चसूपुत्तं / मा रुअसु मा च कंदसु तुह एत्तिय जीवणं दिण्णं // 461 // घित्तूण कण्णिअं मयं कलेवरं च सा तओ अइक्कंता / सिट्ठिस्स णिराबाहं जायं दाणप्पभावेणं // 462 // त्यागेन भूतानि वशीभवन्ति त्यागेन वैराण्यपि यान्ति नाशम् / परोऽपि बन्धुत्वमुपैति दानात् त्यागो हि सर्वव्यसनानि हन्ति 463 सिसुमडयं छड्डेडं खंडा विउलत्थलाहपरिसुद्धा / . मणिकणयरयणमुत्तिअचमरसमिद्धं गया हट्टं // 464 // काऊण य विणिओअं तेसिं धुत्ताण सीअविहुरांणं / .. बहुखज्जपिज्जकलियं सुसक्कयं भोअणं देइ . // 465 // 304