________________ तो भणइ खंडवाणा धुत्ते एवं गए वि कज़्जम्मि। मज्झं कुणह पमाणं जाहे भत्तं पयच्छामि // 430 // जइ कह वि पराजिज्जह सव्वे वि अ समुइआ मए तुब्भे / तो तुम्ह णत्थि लोए काणा वि कवड्डिआ मुल्लं // 431 // तो ते भणंति धुत्ता को सत्तो णिज्जिणित्तु अम्हेहिं / / मायाणिअडिपहाणो हरी वि सक्कं जइ हविज्जा // 432 // . तो सा अवगयतोसा ते धुत्ते खंडवाणई भणइ / पिच्छह इत्ताहि चिय सव्वे वि करेमि हयवयणे // 433 // तेसिं वत्थाण कए रायाणं पुच्छिउं परियडामि। .. गामागरपुरपट्टणजणवयपरिमंडिअं वसुहं // 434 // अण्णं च ममं चउरो चेडरूआ जायया चिरपणट्ठा / तेसिं च कएण अहं परिहिंडंती इहं पत्ता // 435 // ते चेडा तुब्भे हि अ ताणि अ वत्थाणि ते परिहियाणि / जइ वि ण पत्तिअ हेडं तो देह महायणे भत्तं .. // 436 // तो ते लज्जिय विलया भणंति अइसंधिया तुमे अम्हं / मेढीभूआ इण्हेिं बुद्धिपयारेण जायासि // 437 / / एअस्स णरस्स तुमं इक्का जुग्गा जयम्मि विक्खाया / सत्ताह वद्दलम्मी दे भत्तं सव्वधुत्ताणं // 438 // सा भणइ विहसमाणा पुब्विं विण्णविया मए तुब्भे / भो गव्वमुव्वहंता ओहसह जणं अबुद्धीआ // 439 // तो ते भणंति सुंदर चाओ घट्ठो कओ हवइ जाहे। . ताहे सत्तइ जाई एसा पुरिसस्स पयईओ // 440 // उप्पत्तिअबुद्धीए अम्हे अभिसंधिआ तुमे सुअणु / . तो सव्वे वि भणामो अम्हं भत्तं पयच्छाहि // 441 / / 30