________________ अह णवरि मज्झ पिउणा णाडवरत्ता य मग्गमाणा णं / लद्धा मूसयछिप्पा णाडवरत्ता तर्हि वलिआ - // 418 // तो किं इत्थं सच्चं ? भणइ ससो-बंभकेसवा अंतं / ण गया जइ लिंगस्स उ तो कह वयणं तुह असच्चं // 419 // रामायणे अ सुव्वइ जह हणुअंतस्स आसि लंगूलं / महईमहप्पमाणं वत्थसहस्सेहिं णेगेहिं // 420 // वेढित्तु रक्खसेहिं सित्तं तिल्लस्स घडसहस्सेहिं / लंकापुरी वहत्था पलीविअं मंदपुण्णेहिं // 421 // सा देवलोअसरिसा लंकापुरी सव्वलोअविक्खाया / आलीविआ समंता हणुएणं वाउपुत्तेणं // 422 // जइ सच्चं लंगुलं सुमहंतं आसि वाउपुत्तस्स / तो ते मूसिअछिप्पा किण्ण हवइ इद्दहा रज्जू // 423 // अण्णं च इमं सुव्वइ पोराणसुईसु णिग्गयं वयणं / जह किर गंधारिवरो रण्णे कुरुवत्तणं पत्तो . // 424 // राया आसी किर सो महाबलपरक्कमो अहिअतेओ / सक्को देवाहिवई परज्जिओ जेण समरम्मि // 425 // सो तं अहिक्खिवंतो सुरंगुरुसत्तो अरण्णमज्झम्मि। जाओ महा अयगरो रज्जपष्भट्ठा य पंडुसुआ // 426 // तम्मि अरण्णम्मि ठिआ एगागी णिग्गओ णवरि भीमो / तेणऽयगरेण खद्धो उवलद्धसुई अ धम्मसुओ // 427 / / पत्तो अयगरमूलं सत्तयपुच्छाओ कहयई तस्स / / उग्गिलइ अयगरो सो भीमं सावस्सयंतम्मि // 428 // जाओ पुणरवि राया जइ सच्चं तो तुमं पि सब्भूअं / / गोहा चूअलया वि अ गंतूण पुणण्णवा जाया // 429 // 301