________________ तो भणह किं ण सच्चं जइ वाएणं हविज्ज पुत्तु त्ति / तो णत्थि का वि रंडा अपुत्तिया जीवलोअम्मि // 370 // तं भणइ मूलदेवो सुव्वइ लोअस्सुईसु पवणेणं / कुंतीइ. भीमसेणो जाओ णीलाइ हणुअंतो // 371 // पारासरेण वासो मच्छिणिजणिओ पसूअओ चेव / कज्जे सरिज्जसु त्ति अ जणणि भणिऊण अवकंतो // 372 / / जाया अक्खयजोणी जोअणगंधा अ रिसिपभावेणं / संतणुणा तीइ सुओ विचित्तविरिओ त्ति संजणिओ // 373 // असुए मयम्मि तम्मी जोअणगंधाइ सुमरिओं वासो / संपत्तो अखणेणं जणणिसयासे रिसिवरो सो // 374 // भणिओ अह माऊए पुत्त ! अपुत्ता ण वुड्डए वंसो / ता तह करेहि वच्छय ! जह होइ कुलस्स संताणो // 375 // तेणुद्धरिओ वंसो पंडुणरिंदो जयम्मि विक्खाओ / धयडो अ णरवई विदुरो य महामई जणिओ // 376 // भाउज्जाया तिण्णि वि भुत्तूणं देइ तिण्ह वी सावं / अकयं तु ओहयासो वासो रिसिधम्मपन्भट्ठो // 377 // आहारे चैव योनौ च बीजकर्मणि यः शुचिः / तस्य कृच्छागतस्यापि न पाफे रमते मतिः .. // 378 // जइ सच्चं पवणसुओ भीम-हणू णवर पट्टिओं वासो / उअरविणिग्गयमत्तो तो सच्चं तुज्झ वी वयणं // 379 // 'पुणरवि खंडावाणा भणइ सही आसि मज्झुमा देवी / तीए मंतो दिण्णो ससुरासुरलोअआगरिसो // 380 // आगरिसिओ रवी मे जोइसचक्काहिओ अहिअतेओ। तेण वि मे बलजुत्तो जाओ पुत्तो महासत्तो // 381 // . 207