________________ भणइ तओ जमयग्गी वरसु वरं पुत्त ! जो तुहं इ8ो / सो भणइ मज्झ माया पुणो वि जीवंतिआ होउ // 192 // इय होउ त्ति पभणिए जाया सा तक्खणेण सज्जीवा / : जइ सब्भूअं एअं तुमं पि जीवोसि तं सच्चं // 193 // राया वि जरासंधो समरपरक्कमपयावविक्खाओ। सो संधिओ जराए रायसहस्साहिवो जाओ // 194 // अण्णं च इमं सुब्वइ सुंद-णिसुंदा सहोअरा सूरा / बलवीरिअसंपण्णा सुरलोअभयं जग्गेमाणा // 195 // सामत्थेतु सुरेहिं तिलोत्तमा तेसि वहणिमित्तं तु / .. णिम्मविया तिलमित्तं इक्किक्कसुरस्स घित्तूणं // 196 // अंगोवंगसुअंगयलावण्णगुणागरा अणोवम्मा / . कमलागरवत्थव्वा लच्छि व्व सयं समुत्तिण्णा // 197 // विणओणामियगत्ता सरसामलविकयकमलदलणयणा / णमिऊण सुरसमूहं महुरुल्लावा समुल्लवइ // 198 // जं कायव्वं तं आणवेह देवेहिं जंपिअं इणमो / सुंद-णिसुंदा सुरसत्थकंटया ते समुद्धरसु // 199 // इअ होउ त्ति अ भणिउं तिलुत्तमा गिहिउं सुराणत्ति / पत्ता खणेण य तहिं सुंद-णिसुंदा सुरा जत्थ // 200 // हारद्धहारकेऊरभूसिआ जणमणस्स वब्भूआ / विथडुण्णयथणवट्टा दो वि जणे ते पलोभेइ // 201 // तो ते मयणवसगया तीइ कए जुज्झिउं अह पवत्ता / णिहणं च गया दुण्णि वि परुप्परं सत्थघाएहिं // 202 // स्त्रीणां कृते भ्रातृयुगस्य भेदः संबन्धिभेदे स्त्रिय एव मूलम् / अप्राप्तकामा बहवो नरेन्द्रा नारीभिरुच्छेदितराजवंशाः // 203 // 282