________________ अह भणइ कंडरीओ चिब्भडपसुअयगराइमज्झम्मि / अच्छंतो कह ण मओ एअं मे पत्तिआवेह . // 135 / / भणइ अ एलासाढो तद्दिअसं चेअ णिग्गओ तं सि / / पुहई कह ण विवज्जएँ वसुदेवसुअस्स पुट्टत्था // 136 // पुढे किसि-वाणिज्जं संगामा बहुविहा य आरंभा / आवाह-विवाहा वि अ उस्सव-पसवा य वटुंति // 137 // कह पुण हविज्ज एअं जयं तु उअरे वि जस्स जं वुत्थं / बंभाण-केसवाणं पुव्विं किर भंडणं आसि // 138 // कत्ता अहं ति बंभा भणइ जओ वयण-बाह-उरूहि / / पाएसु अ णिक्खंतं चाउव्वएणं जगमिणं ति // 139 / / पडिभणइ तं अणंतो बंभाणं सपरिहासवयणेहिं / / तं सिं मम चेडरूवं ण जुज्जए एरिसं वुत्तुं // 140 // अब्भा-भूमि कउटे पव्वयदाढे समुद्दजीहाले / पविसेहि मज्झ उअरे जा पिच्छ सविब्भमं पुहइं // 141 // मह चेव समुप्पण्णो जलसयणे णाहिणिग्गए पउमे / बंभाण ! तं ण सोहसि गुरुपुरओ इत्तिअं वुत्तुं // 142 // जस्स पभावेणुम्मिल्लियाईं तं चेव कह कयग्घाई। . कुमुआइँ अत्तसंभाविआई. चंदं उवहसंति // 143 // अह भणइ कंडरीओ पोराणसुईसु कत्थ य सुयं ते / ढिंकी महप्षमाणा जस्सुअरे इत्तियं मायं // 144 // परिभणइ एलसाढो दोवइदेवीसयंवरे पत्ता / / जह किर धणुं पविट्ठा महिहरणागा य अग्गी य // 145 / / दुपयणरिंदस्स धणुं सुमहल्लं देव परिग्गहियं / जो आरुहिओ विंधइ वामे अच्छिम्मि सूअरियं // 146 //