________________ जइ तेण समुत्तिण्णो तिरिएण महोअही दुरुत्तारो / तो किं तए णरुत्तम ण हुज्ज गंगा समुत्तिण्णा // 88 // जं भणसि कह णु धारा छम्मासा धारिया सिरेण मए / इत्थ वि मे सुण हेउं दिआइसुइआगयं वयणं // 89 // लोगहिअट्ठाए किर गंगा अब्भत्थिया सुरवरेहिं / अवयरसु मणुअलोअं सग्गाओ भणइ सा ताहे // 90 // को मं धरिउं सक्को निवडंति भणइ पसुवई अहयं / धारेमि तओ पडिया धरिया सीसेण पसुवइणा // 91 // दिव्वं वाससहस्सं जइ धरिया जण्हवी उमावइणा / तो कह न धरेसि तुमं छम्मासं सिरेणुदयधारा // 92 // उत्तमपुरिसो सि तुमं विण्णाणागमगुणेहिं संपुण्णो / णिग्गयजसो महप्पा विक्खाओ जीवलोअम्मि // 93 // द्वितीयमाख्यानकम् अइसइओ मूलसिरी कंडरिअं भणइ-'सु(भ)णसु इत्ताहे / जं दिटुं जं च सुअं अणुहूयं जं च ते इहई' // 94 // अह भणइ कंडरीओ-'अविणयपुण्णो मि आसि बालत्ते / अम्मापिइदुदंतो रोसेण घराउ णिक्खंतो . // 95 // परिहिंडंतो अ अहं पत्तो देसंतसंठिअं गामं / गो-महिस-अजा-एलय-खर-करहसमाउलं मुइयं // 96 // आरामुज्जाणवणेहिं सोहियं कुसुमफलसमिद्धेहिं / अयलापुरिसारिच्छं बहुघरसयसंकुलं रम्म // 97 // तस्स बहुमज्झदेसे पिच्छं वड़पायवं मणभिरामं / मेहणिउरंबभूअं सउणसहस्साण आवासं // 98 // 273