________________ सम्मं धम्मविसेसो जहि कसछेअतावपरिसुद्धो। वण्णिज्जइ निज्जूढं एवंविहमुत्तमसुआइ // 1020 // पाणवहाईआणं पावट्ठाणाण जो उ पडिसेहो / झाणज्झयणाईणं जो अ विही एस धम्मकसो // 1021 // बज्झाणुट्ठाणेणं जेण न बाहिज्जई तयं नियमा। संभवइ अ परिसुद्धं सो उण धम्मम्मि छेउ त्ति // 1022 // . जीवाइभाववाओ बंधाइपसाहगो इहं तावो। एएहिं सुपरिसुद्धो धम्मो धम्मत्तणमुवेइ , // 1023 // . एएहिं जो न सुद्धो अन्नयरम्मि उ ण सुठु निव्वडिओ। . सो तारिसओ नियमेण फले विसंवयइ - // 1024 // . एसो उ उत्तमो जं पुरिसत्थो इत्थ वंचिओ नियमा। वंचिज्जइ सयलेसुं कल्लाणेसुं न संदेहो / // 1025 // एत्थ य अवंचिए ण हि वंचिज्जइ तेसु जेण तेणेसो। सम्मं परिक्खिअव्वो बुहेहिं मइनिउणदिट्ठीए // 1026 // कल्लाणाणि अ इहइ जाइं संपत्तमोक्खबीअस्स। . सुरमणुएसु सुहाई नियमेण सुहाणुबंधीणि // 1027 / / सम्मं च मोक्खबीअं तं पुण भूअत्थसद्दहणरूवं। पसमाइलिंगगम्मं सुहायपरिणामरूवं तु - // 1028 // तम्मि सइ सुहं नेअं अकलुसभावस्स हंदि जीवस्स / अणुबंधो अ सुहो खलु धम्मपवत्तस्स भावेण // 1029 // भूअत्थसद्दहाणं च होइ भूअत्थवायगा पायं / सुअधम्माओ सो पुण पहीणदोसस्स वयणं तु // 1030 // जम्हा अपोरिसेअं नेगंतेणेह विज्जई वयणं / .. भूअथवायगं न य सव्वं अपहीणदोसस्स . // 1031 // 8%