________________ वा अवि अ तओ चिअ पायं तब्भावोऽणाइमंति जीवाणं / इअ मुणिऊण तयत्थं जोगाण करिज्ज वक्खाणं // 984 // उवसंपण्णाण जहाविहाणओ एव गुणजुआणं पि। सुत्तत्थाइकमेणं सुविणिच्छिअमप्पणा सम्म // 985 // उवसंपयाय कप्पो सुगुरुसगासे गहिअसुत्तत्थो / तदहिगगहणसमत्थोऽणुनाओ तेण संपज्जे // 986 // अप्परिणयपरिवारं अप्परिवारं च णाणुजाणावे / गुरुमेसो वि सयं विअ एतदभावे ण धारिज्जा // 987 // संदिट्ठोसंदिट्ठस्स अंतिए तत्थ मिह परिच्चाओ (च्छा उ)। साहुअमग्गे चोअण तिदु (गु)वरि गुरुसम्मए चागो // 988 // गुरुफरुसाहिगकहणे सुजोगओ अह निवेअणं विहिणा / सुअखंधादो निअमो आहव्वऽणुपालणा चेव // 989 // अस्सामित्तं पूआ इअराविक्खाए जीअ सुहभावा। परिणमइ सुअं आहव्वदाणगहणं अओ चेव . // 990 // अह वक्खाणेअव्वं जहा जहा तस्स अवगमो होइ। आगमिअमागमेणं जुत्तीगम्मं तु जुत्तीए // 991 // जम्हा उ दोण्ह वि इहं भणिअं पन्नवगकहणभावाणं / लक्खणमणघमईहिं पुव्वायरिएहि आगमओ. // 992 // जो हेउवायपक्खम्मि हेउओ आगमे अ आगमिओ। सो संसमयपण्णवओ सिद्धंतविराहओ अन्नो // 993 // आणागिज्झो अत्थो आणाए चेव सो कहेयव्वो / दिलृतिअ दिटुंता कहणविहि विराहणा इहरा // 994 // तो आगमहेउगयं सुअम्मि तह गोरवं जणंतेणं / उत्तमनिदंसणजुअं विचित्तणयगब्भसारं च // 995 // 83