________________ // 624 // // 625 // // 626 // // 627 // // 628 // // 629 // इय जोऽपण्णवणिज्जो कहण्णु सामाइअं भवे तस्स ? / असइ अ इमम्मि नाया जुत्तोवट्ठावणा णेवं . जं बीअं चारित्तं एसा पढमस्सऽभावओ कह तं ? / असइ अ तस्सारोवणमण्णाणपगासगं नवरं सच्चमिणं निच्छयओऽपन्नवणिज्जो न तम्मि संतम्मि। ववहारओ असुद्धे जायइ कम्मोदयवसेणं संजलणाणं उदओ अप्पडिसिद्धो उ तस्स भावे वि। सो अ अइआरहेऊ एएसु असुद्धगं तं तु पडिवाई वि अ एअं भणिअं संते वि दव्वलिंगम्मि / पुण भावी वि अ असई कत्थइ जम्हा इमं सुत्तं तिण्ह सहस्सपुहुत्तं सयप्पुहुत्तं च होइ विरईए। एगभवे आगरिसा एवइआ होति नायव्वा एएसिमंतरे वाऽपण्णवणिज्जु त्ति नत्थि दोसो उ। अच्चागो तस्स पुणो संभवओ निरइसइगुरुणा अइसंकिलेसवज्जणहेऊ उचिओ अणेण परिभोगो। जीअं किलिट्ठकालो त्ति एव सेसं पि जोइज्जा अहवा वत्थुसहावो विन्नेओ रायभिच्चमाईणं / जत्थंतरं महंतं लोगविरोहो अणि?फलं दो थेर खुड्ड थेरे खुड्डग वोच्चत्थ मग्गणा होइ / रन्नो अमच्चमाई संजइमज्झे महादेवी दो पुत्तपिआ पुत्ता एगस्स पुत्तो पत्त न उ थेरो। गाहिउ सयं व विअरइ रायणिओ होउ एसविआ राया रायाणो वा दोण्णि वि सम पत्त दोसु पासेसु / ईसरसिट्ठिअमच्चे निअम घडा कुला दुवे खुड्डे // 630 // // 631 // // 632 // // 633 // // 634 // // 635 // .43