________________ // 432 // // 433 // // 434 // // 435 // // 436 // // 437 // तेण परं आवायं पुरिसेयर सेत्थियाण तिरिआणं / तत्थ वि अ परिहरिज्जा दुगुंछिए दित्तचित्ते अ तत्तो इत्थिंनपुंसा तिविहा तत्थ वि असोअवाईसु / तहिअंतु सद्दकरणं आउलगमणं कुरुकुआ या सण्णाए आगओ चरमपोरिसिं जाणिउण ओगाढं / पडिलेहेइ अ पत्तं नाऊण करेइ सज्झायं पुबुद्दिवो अ विही इहं पि पडिलेहणाएँ सो चेव / जं इत्थं नाणत्तं तमहं वोच्छं समासेणं पडिलेहगा उ दुविहा भत्तट्ठिअ एअरा उ नायव्वा / दोण्ह विअ आइपडिलेहणा उ मुहणंतग सकायं तत्तो अ गुरुपरिण्णांगिलाणसेहाण जे अभत्तट्ठी / संदिसह पायमत्तअ अत्तणो पट्टगं चरिमं पट्टग मत्तग सगउग्गहो अ गुरुमाइआणऽणुण्णवणा / तो सेसभाणवत्थे पाउंछणमं च भत्तट्ठी जस्स जया पडिलेहा होइ कया सो तया पढइ साहू। परिअट्टेइ अ पयओ करेइ वा अण्णवावारं चउभागवसेसाए चरिमाए पडिकमित्तु कालस्स। उच्चारे पासवणे ठाणे चउघीसयं पेहे . अहियासिआ उ अंतो आसन्ने मज्झ दूर तिन्नि भवे / तिण्णेव अणहियासी अंतो छच्छच्च बाहिरओ एमेव य पासवणे बारस चउवीसयं तु पेहित्ता। कालस्स य तिन्नि भवे अह सूरो अत्थमुवयाई इत्थेव पत्थवम्मी गीओ गच्छम्मि घोसणं कुणइ / सज्ायादुवउत्ताण जाणणट्ठा सुसाहूणं // 438 // // 439 / / // 440 // // 441 // // 442 // // 443 // . 37