________________ // 408 // // 409 // // 410 // // 411 // // 412 // // 413 // संविग्गमसंविग्गा संविग्ग मणुण्णएअरा चेव / असंविग्गा वि य दुविहा तप्पक्खिअ एअरा चेव परपक्खे वि अ दुविहं माणुसतेरिच्छियं च नायव्वं / एक्किक्कं पि अतिविहं इत्थी पुरिसं नपुंसं च पुरिसावायं तिविहं दंडिअ कोडुबिए अ पागइए। ते सोअऽसोअवाई एमेव णपुंसइत्थीसुं एए चेव विभागा परतित्थीणं पि हुंति मणुआणं / तिरिआणं पि विभागं अओ परं कित्तइस्सामि दित्ताऽदित्ता तिरिआ जहण्णमुक्कोस मज्झिमो चेव / एमेवित्थिनपुंसा दुगुंछिअदुगुंछिआ नवरं गमण मणुने इअरे वितहायरणम्मि होइ अहिगरणं / पउरदवकरण दट्टुं कुसीलसेहाइगमणं तु जत्थऽम्हे वच्चामो जत्थ य आयरइ नाइवग्गो णो। परिभव कामेमाणा संकेअगदिन्नगा वा वि दवअप्पकलुसअसई अवण्ण पडिसेह विप्परीणामो।। संकाइआइ (उ) दोसा पंडित्थीसुं भवे जं च आहणणाई दित्ते गरहिअतिरिएसु संकमाईआ। एमेव य संलोए तिरिए वज्जित्तु मणुआणं कलुसदवे असई अ व पुरिसालोए हवंति दोसा उ। पंडित्थीसु वि एए खुद्धे वेउव्वि मुच्छा य . आवायदोस तइए बिइए संलोअओ भवे दोसा। ते दो वि नत्थि पढमे तहिं गमणं भणिअविहिणा उ आयापवयणसंजम तिविहं उवघाइअं मुणेअव्वं / आरामवच्चअगणी पिट्टणमसुई अ अन्नत्थ // 414 // // 415 / / // 416 // // 417 // // 418 / / // 419 // 35