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________________ // 396 // // 397 // || 398 // // 399 // // 400 // // 401 // कप्पेऊणं पाए संघाडइलो उ एगु दोण्हं पि / पाए धरेइ बिइओ वच्चइ एवं तु अण्णसमं एक्विको संघाडो तिण्हायमणं तु जत्तिअं होइ। दवगहणं एवइअं इमेण विहिणा उ गच्छंति अजुअलिया अतुरंता विगहारहिआ वयंति पढमं तु / निसिइत्तु डगलगहणं आवडणं वच्चमासज्ज अणावायमसंलोए, परस्सऽणुवघाइए / समे अज्झुसिरे आवि, अचिरकालकयम्मि अ विच्छिण्णे दूरमोगाढे, णासण्णे बिलवज्जिए। तसपाणबीअरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे एक्कंदुतिचउपंचच्छक्कसत्तट्ठनवगदसएहि / संजोगा कायव्वा भंगसहस्सं चउव्वीसं' दुगसंजोगे चउरो तिगऽट्ठ सेसेसु दुगुणदुगुणा उ। भंगाणं परिसंखा दसहि सहस्सं चउव्वीसं अहवा-उभयमुहं रासिदुगं हिट्ठिलाणंतरेण भय पढमं / लद्धऽहरासिविहित्तं तस्सुवरिगुणं तु संजोगा दस पणयाल विसुत्तर सयं च दो सय दसुत्तरं दो अ। बावण्ण दो दसुत्तर विसुत्तरं पंचचत्ता य दस एगो अ कमेणं भंगा एगाइचारणाए उ। सुद्धेण समं मिलिआ भंगसहस्सं चउव्वीसं अणावायमसंलोए अणावाए चेव होइ संलोए / आवायमसंलोए आवाए चेव संलोए तत्थावायं दुविहं सपक्खपरपक्खओ अ नायव्वं / दुविहं होइ सपक्खे संजय तह संजईणं च // 402 // // 403 // // 404 // // 405 // // 406 // / // 407 / / 34
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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