________________ भायण पमज्जिऊणं बाहिं अंतो अ एत्थ पप्फोडे / केइ पुण तिन्नि वारा चउरंगुलमित्त पडणभया // नांगलमित्न पडणभया // 27 // दाहिणकरेण कन्ने घेत्तुं भाणंति वामपडिबंधे / खोडेज्ज तिन्नि वारे तिन्नि तले तिन्नि भूमीए // 277 // कालपरिहाणिदोसा सिक्कगबंधे वि विलइए संतो। एसो व विही सम्मं कायव्वो अप्पमत्तेणं // 278 / / अवलंबिऊण कज्जं जं किंचि समायरंति गीयत्था / थेवावराहबहुगुण सव्वेसिं तं पमाणं तु. . // 279 // ण य किंचि अणुन्नायं पडिसिद्धं वा वि ज़िणवरिंदेहि। . तित्थगराणं आणा कज्जे सच्चेण होअव्वं // 280 // दोसा जेण निरुज्झंति जेण खिजंति पुव्वकम्माई। सो सो मोक्खोवाओ रोगावत्थासु समणं व // 281 // विटिअ बंधणधरणे अगणी तेणे अ दंडिअक्खोहे। उउबद्ध धरणबंधण वासासु अबंधणे ठवणा // 282 // रयताण भाणधरणं उउबद्धे निक्खिविज्ज वासासु / अगणी तेणभए वा रज्जक्खोभे विराहणया // 283 // परिगलमाणो हीरेज्ज डहणभेआ तहेव छक्काया। . गुत्तो अ सयं डझे हीरिज्ज व जं च तेण विणा - // 284 / / वासासु णत्थि अगणी णेव अ तेणा उ दंडिआ सत्था / तेण अबंधण ठवणा एवं पडिलेहणा पाए // 285 // कयजोगसमायारा उवओगं कायजोग (काउ गुरु) समीवम्मि। आवसियाए णिती जोगेण य भिक्खणट्ठाए // 286 // काइयमाइयजोगं काउं घितूण पत्तए ताहे। .. डंडं च संजयं तो गुरुपुरओ ठाउमुवउत्तो . // 287 / / 24