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________________ उढाइविहाणम्मि वि अणेगहा दोसवण्णणं एअं। परिसुद्धमणुट्ठाणं फलयंति निदरिसणपरं तु // 252 // . अणुणाइरित्तपडिलेहा अविवच्चासा अ अट्ठ भंगाओ। पढमं पयं पसत्थं सेसाणि उ अप्पसत्थाणि // 253 // नो ऊणा नऽइरित्ता अविवाच्चासा उ पढमओ सुद्धों। सेसा हुंति असुद्धा उवरिल्ला सत्त जे भंगा // 25.4 // खोडणपमज्जवेलासु चेव ऊणाहिआ मुणेअव्वा / चोदगः-कुक्कुड अरुणपगासं परोप्परं पाणिपडिलेहा // 255 // . देवसिया पडिलेहा जं चरिमाए त्ति विब्भमो. एसो। कुक्कुडगादिसिस्सा तत्थंधारंति ते (तो) सेसा // 256 // एए उ अणाएसा अंधारे उग्गए वि हु ण दीसे। मुहरयणिसिज्जचोले कंप्पतिअ दुपट्ट थुइ सूरो // 257 // जीवदयट्ठा पेहा एसो कालो इमीऍ ता णेओ / आवस्सयथुइअंते दसपेहा उट्ठए सूरो / // 258 // एए उ अणादेसा एत्थ असंबद्धभासगं पि गुरू / असढं तु पण्णविज्जत्तिखावणट्ठा विणिट्ठिा . // 259 // गुरुपच्चक्खाणगिलाणसेहमाईण पेहणं पुव्विं। तो अप्पणो पुव्वमहाकडाई इअरे दुवे पच्छा // 260 / / पुरिसुवहिविवच्चासो सागरिअ करिज्ज उवहिवच्चासं। आपुच्छित्ताण गुरुं पडुच्च माणेतरे वितहं // 261 // 'अप्पडिलेहियदोसा आणाई अविहिणा वि ते चेव। तम्हा उ सिक्खिअव्वा पडिलेहा सेविअव्वा व // 262 // पडिलेहिऊण उवहिं गोसम्मि पमज्जणा उ वसहीए। . अवरण्हे पुण पढमं पमज्जणा पच्छ पडिलेहा . // 263 // 22
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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