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________________ आसेविऊण एया पडिवज्जइ सव्वविरइ महदेसे / गिहिभावं पडिवज्जइ को वि पुणो जहां तहा भावे // 1115 // अंतमुहुत्तप्पमाणा सव्वा पडिमा जहन्नओ हुंति / उक्किट्ठा पुण एवं भणिया सिरिखीणरागेहिं // 1116 // पाणिवह 1 मुसावाए 2 अदत्त 3 मेहुण 4 परिग्गहे विरओ 5 / दिसि 6 भोग 7 दंड 8 समए 9 देसे 10 तह पोसह 11 विभागे 12 // 1115 / / जीवा सुहुमा थूला संकप्पारंभओ य ते दुविहा / सावराहनिरवराहा साविक्खा चेव निरविक्खा // 1118 / / दुतिचउरिदिय पाणा भूया पत्तेय तरुगणा नेया / सव्वे पणिदि जीवा सेसा सत्ता थिराईया // 1119 / / सुहुमा सव्वत्थ ठिया अहवा णो चम्मचक्खुणो गिज्झा / थूला तसा वि दुविहा चक्खुगिज्झा अगिज्झा य // 1120 // वहबंधछविच्छेए अइभारे भत्तपाणरोहे य / पढमाणुव्वयम्मि य अइयारा पंच विष्णेया . // 1121 // संकप्पो संरंभो परितावकरो भवे समारंभो। . आरंभो उद्दवओ सव्वव(न)याणं विसुद्धाणं // 1122 / / आभोगाणाभोगे इक्किक्को सो हविज्ज दुहओ य / अइक्कमवइक्कमअइयाराणायारेहिं सव्वगया // 1123 // भूजलजलणाणिलवणबितिचउपंचिदिएहिं जे जीवा / मणवयणकायगुणिया वहंति ते सत्तवीसेत्ति // 1124 // इक्कासीइ करणकारणाणुमईहिं ताडिया होइ। सच्चिय तिकालगुणिया दुन्निसया हुँति तेयाला // 1125 // पाणिवहे वटुंता भमंति भीमासु गब्भवसहीसु / ' संसारमंडलगया णिरयतिरिक्खासु जोणीसु // 1126 // 238
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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