________________ परिणामविसेसाओ पुढवाइ व होइ वि अह जिणाययणे / भणिओ गुणाय एव मुणिविहारु व्व निऊणेहिं // 1055 // तरइ तित्थंविसेसे जह पाहाणो विसज्जियं गरलं / / नो मारइ बलपुढेि कारइ जह दव्वजोएण . // 1056 // सच्चप्पभावओ च्चिय अग्गी णो डहइ तं हियं कुणइ / तह कायवहो वि तया सुहजोगनिमित्तसंजयणा // 1057 // परिणामविसेसो वि हु सुहबज्झगओ सुहफलो होति / ण उ इयरो वेयवहो व्व मिच्छस्स जह विप्पं // 1058 // सइ सव्वत्थामाभावे जिणाण भावावयाए जीवाणं / / तेसि नित्थरणगुणं पुढवाइवहे वियाययणे // 1059 // साहुनिवासो तित्थगर-ठावणा आगमस्स परिवुड्डी / इक्विकं भावावइनित्थरणगुणं तु भव्वाणं // 1060 // साहूण वासो सद्धम्मदेसणा धम्मकामपरियरणं / तित्थयरट्ठावणाओ परमगुरुगुणागमो भवतो . // 1061 // सज्झायज्झाणकरणे आगमपरिवट्टणं तओ नियमा / रागादीण पहाणं तत्तो मोक्खो सया सोक्खो // 1062 // ता इह सुहबद्धराओ संविग्गस्स जयणापवत्तस्स / जिणभवणकायघाए परिणामो होइ जीयस्स // 1063 // मुत्तगसरीरदव्वस्स पूया भवियत्तकम्मनिद्दलणी। नो आरंभपवित्ती पसत्तया सम्मसुद्धीकरी // 1064 // जस्स य सुद्धो भावो णिक्खेवो जत्थ तं सुहपबंधं / अत्तट्ठपरट्ठमुभयट्ठमिंदियरागेहि पडिबंधं // 1065 // निक्खेवा सुद्धं जं तदट्ठमुच्चावरेहितं भयणा / सागारमणागारं जह वुत्तं तं निरवहेज्जा // 1066 // 233