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________________ // 863 // पलियअसंखविभागे एगा कोडि हविज्ज कम्मठिई / सत्तण्ह वि क्रम्माणमहापवत्तेण करणेणं . गंठि त्ति सुदुब्भेओ कक्खडघणरूढगूढगंठि व्व / जीवस्स कम्मजपिओ घणरागदोसपरिणामो // 864 // भित्तूणं तमपुव्वकरणेणझप्पझाणसुद्धेण / तत्थ य अंतरकरणं करेइ अंतोमुहुत्तमियं // 865 // उवसमसेढिगयस्स वि होइ उवसामियं तु सम्मत्तं / जो वा अकयतिपुंजो अखवियमिच्छो लहइ सम्मं // 866 // खीणम्मि उइण्णम्मि अणुइज्जंते अ सेसमिच्छत्ते / अंतोमुहुत्तमित्तं उवसमसम्मं लहइ जीवो // 867 / / जा गंठी ता पढमं गंठि समइच्छओ भवे बीयं / अनियट्टीकरणं पुण सम्मत्तपुरक्खडे. जीवे // 868 // आलंबणमलहंती जह सट्ठाणं न मुंचए इलिया / एवं अकयतिपुंजी मिच्छत्तं उवसमी एइ .. // 869 // उवसमसम्मट्टिी अंतरकरणे ठिओ वि जइ को वि। देसविरई पि लहइ के वि पमत्तापमत्तं पि // 870 // भव्वो वाऽभव्वो वा गंठिसमीवट्ठिउ न भिन्दंतो। संखिज्जमसंखिज्जं कालं चिढेइ जइ को वि // 871 // दव्वसुयस्स य लाहो हविज्ज पुव्वं विमुत्तदिक्खम्मि / जिणरिद्धिदंसणाओ उवरिमगेविज्जगसुहट्ठ // 872 // एयमभव्वाणं चिय भव्वाणं पुणमभिन्नदसपुव्वा / अंतमुहुत्तेण वि कोइ गठि भिच्चा लहेइ सिवं // 873 // उवसमसम्मत्ताओ चइउं मिच्छं अपावमाणस्स / सासायणसम्मत्तं तयंतरालम्मि छावलियं // 874 // 217
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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