________________ // 851 // // 852 // // 853 // // 854 // . // 855 // // 856 // जत्थ न बालपसंगो नोक्कडवंचणबलाइकारवणं / / गीयत्थाणं सेवा तत्थ जइत्तं सया जाण .. सव्वजिणाणं तित्थं बकुसकुसीलेहिं वट्टए इत्थं / नवरं कसायकुसीला पमत्तजइणो विसेसेण न विणा तित्थं नियंठेहिं नातित्था य नियंठया / छक्कायसंजमो जाव ताव अणुसज्जणा इण्डिं . एवं अट्ठवियप्पा परिहरियव्वा हु पढमभंगिल्ला / बीयनिसेवियव्वा निच्चं तुरिया वि सेविज्जा तेसिमभावे तइया दुव्बुट्ठिनाएण संधिमभिगिज्झ / भइयव्वा अवरे वि हु कारणमासज्ज सुद्धगुणा दंसणतिगहीणपढमा बीया दंसणतिगेण परिसुद्धा / तुरिया चरणविहीणा दंसणभयणा हु तइयम्मि दव्वेण य भावेण य चरणं नेयं जहक्कम तेसिं / अवरम्मि दंसणगुणं नेयं भयणा हु नाणस्स वुड्डदुवारगंथे छेयाइसुवित्थरो मुणेयव्वो / संजमठाणा सेढी पज्जाया कंडगाह्रत्थ चरणाईया धम्मा सव्वे सहला हवंति थोवा वि / दंसणगुणेण जुत्ता जइ नो उण उच्छुदंडनिभा दंसणमिह सम्मत्तं तं पुण तत्तत्थसदहणरूवं / दंसणमोहविणासे निम्मलमज्झप्पगुणठाणं खइयाइपणविहं पुण दंसणं तत्थ पढममुवसमियं / लब्भइ णाइअणंते संसारे सुभोमिरो जीवो पल्लोवलमाइअहापवत्तकरणेहि को वि पंचिदी / * भव्वो अवड्डपुग्गलपरियट्टवसेससंसारो - // 857 // // 858 // // 858 // // 859 // // 860 // // 861 // // 862 // 216