________________ // 839 / / // 843 // ससिहो सभज्जगो वि य सिद्धपुत्तो सकूचिओ भणिओ / नो भिक्खइ सिप्पाइ-कम्मं काऊण जीवेइ. के वि य भणंति- पच्छा-कडपुत्तो सिद्धपुत्तगो भणिओ। ससिहो वा असिहो वा सभज्जगो वा अभज्जो वा // 840 // एए सव्वे वि सम्मत्तसंजुया जइ हवंति नामाणि / नो तेसिं जइ सम्मत्तं भटुं सव्वे वि ते गिहिणो // 841 // आलोयणाइकज्जे एए जुग्गा हवंति कइया वि / जइ नाणा सच्चभासण-गुणप्पहाणा मुणियठाणा // 842 // जे वि कुसीला कूवएस-दायगा दंभधम्मछलमाणा / ते वि हु अदंसणिज्जा कुसीललिंगं धरेमाणा धन्नाणं विहिजोगो विहिपक्खाराहगा सया धन्ना / / विहिबहुमाणी धन्ना विहिपक्खअदूसगा धन्ना - // 844 // विहिकरणं विहिराओ अविहिच्चाओ कए वि तम्मिच्छा / अनुक्करिसं कुज्जा णेव सया पवयणे दिट्ठी. // 845 // आसन्नसिद्धियाणं जीयाणं सयलअत्थिवाईणं / लक्खणमेयं विवरीय-मभव्वजियदूरभव्वाणं // 846 // सम्मत्तनाणचरणानुच्चाइमाणाणुगं च जं जत्थ / जिणपन्नत्तं भत्तीए पूअए तं तहाभावं // 847 // केसिंचि अ आएसो दंसणनाणेहिं वट्टए तित्थं / वुच्छिन्नं च चरित्तं वयमाणे होइ पच्छित्तं // 848 // दुप्पसहंतं चरणं जं भणियं भगवया इहं खित्ते / आणाजुत्ताणमिणं न होइ अहुणो त्ति वामोहो // 849 // कालोचियजयणाए मच्छररहियाण उज्जमंताण / जणजत्तारहियाणं होइ जइत्तं जईण सया // 850 // . 215