________________ पच्छा मिच्छद्दिट्ठी सासायणजुओ हवे नियमा / उक्कोसं सासायण-मुवसमियं पंचखुत्तमिह // 875 // पुव्वमपुव्वकरणेणं अंतरकरणेण वा कयतिपुंजी। कोद्दवनिदंसणेण य सुद्धाणुवेयगो होइ // 876 // मिच्छत्तं जमुइण्णं तं खीणं अणुइअं च उवसंतं / मीसीभावपरिणयं वेइज्जंतं खओवसमं // 877 // उवसमसम्मत्ताओ खाओवसमस्स को विसेसोत्थि / उवसम्मि मिच्छत्तं पएसवेज्जं न इह वेज्जं // 878 // वेयगसम्मत्तं पुण सव्वोइअचरमपुग्गलावत्थं / . खीणे दंसणमोहे तिविहम्मि वि खाइयं होइ // 879 // अंतमुहत्तोवसमो छावलि सासाण वेयगो समओ। .. साहियतित्तीसायर खइओ दुगुणो खओवसमो // 880 // वेयगखाइगमिक्कसि वारमसंखिज्जओ खओवसमो / साइअणंतो कालो खइयस्स य सिद्धभावम्मि // 881 // अंतोमुत्तमित्तं पि फासियं हुज्ज जेहि सम्मत्तं / तेसिमवड्डपुग्गलपरियट्टवसेससंसारो // 882 // उक्किट्ठरसेण नोकिट्ठ-ठिइबंधो हवइ कम्मपयडीणं / ' सम्मत्तपरिचाए वि पडिवडिओवसमी खओ वा // 883 // खाइयमपडिवाइ सत्तगखीणो तिदंसचउअणओ। चउतिभवभाविमुक्खो तब्भवसिद्धी अबद्धाऊ सम्मत्तम्मि उ लद्धे विमाणवज्जं न बंधए आऊ। तिरिमणुओ देवो पुण नराउमवि चउगइ सबद्धाऊ // 885 // सम्मत्तम्मि य लद्धे पलियपुहत्तेण सावओ हुज्जा / . चरणोवसमखयाणं सागरसंखंतरा हुंति . . // 886 // 218 // 884 //