________________ पवयणमोसावायं मुणंति तेणत्थकारयं हियए / अप्पपरजाणणट्ठा जम्हा सुद्धं परूवंति // 812 / / सुद्धं सुसाहुधम्मं कहेइ निदेइ निययमायारं / सुविहियमुणीण पुरओ होई य सव्वोमराइणिओ // 813 // वंदइ न य वंदावइ किइकम्मं कुणइ कारवे नेय / अत्तट्ठा न वि दिक्खइ देइ सुसाहूण बोहेउं // 814 // . अहवा देइ दिक्खं अत्तट्ठा धम्मियाण तप्पुरओ / सव्वं विरयायारं परूवेत्ता जुंजए सम्मं , ' // 815 / / - अह जोअ णो गिण्हई दिक्खं अमुणियमुणित्तणुज्जोओ / तं दिक्खइ नियविणयट्ठाए तं जुंजए य पुणो // 816 / / ओसन्नो अत्तट्ठा परमप्पाणं च हणइ दिक्खंतो।। तं छुहइ (बुडइ) दुग्गईए अहिययर बुड्डइ सयं च // 817 // गीयं कप्पनिसीहाइ सुत्तं अत्थं च तदुभयविहिन्नू / सो गीयत्थो अन्नो समवायधरोऽणुओगधरो // 818 // गीयत्थो वि हु गीयत्थसेवाबहुमाणभत्तिसंजुत्तो / परिसागुणनयहेऊ-वाएहिं देसणाकुसलो . // 819 // विहिवाए विहिधम्मं भासइ नो अविहिमग्गमण्णत्थं / इक्को वि जणमज्झ-ट्ठिओ व दिया व राओ वा // 820 // पाणंते वि न मिच्छा भासइ आयारगोयरं परमं / जिणमग्गे पडिकूलं न रुयइ बहिकट्ठकिरिया वि // 821 // सव्वत्थ उचियदिट्ठी उचियपवित्तिं करेइ सव्वत्थ / / परदोसा दट्टणं मुणइ सगकम्मपयडिभवा ओसन्नो जइ वि तहा पायडसे वि न हुंति दोसाणं / . जम्हा पवयणदोसो मोहो उ सुद्धजणमज्झे // 823 // // 822 // 212