________________ गीयत्थाणं पुरओ सच्चं भासेइ निययमायारं / जम्हा तित्थसारिच्छा जुगप्पहाणा सुए भणिया // 824 // सारणवारणचोयण-पडिचोयणमाइएसु कज्जेसु / तप्पुरओ कायव्वो नाणीणं दंसियं जम्हा // 825 // पवयणमुब्भावंतो ओसन्नो वि हु वरं सुसंविग्गो / चरणालसो वि चरण-ट्ठियाण साहूण पक्खपरो // 826 // नाणाइगुणविहीणा अत्तुक्करिसा अणज्जुनियडिपरा / धम्मच्छलेण गिहिसंथवकारया तेसि मा संगो // 827 // धन्नाणं होइ ज़ोगो मुणीण परमत्थतत्तजुत्ताणं / संविग्गपक्खियाणं पुण संगो भव्वभद्दकरो // 828 // (काव्यं 3) तत्त्व 1 ज्ञानां 2 ग 3 धर्मे 4 न्द्रिय 5 / मद 6 विषय 7 द्रव्य 8 संभोग 9 योगाः 10 / संज्ञा 11 दिग् 12 संयम 13 द्धि 14 व्रत 15 / विहति 16 वचो 17 भावना 18 श्चर्य 19 लेश्याः 20 // .. पर्याप्ति 21 प्राण 22 योनि 23. स्वर 24 मरण 25 / समुद्धात 26 चर्या 27 हंदाद्याः 28 / दाना 29 वस्था 30 वधा 31 र्थश्रुत 32 नय 33 / विनया 34 कार 35 गर्भ 36 क्षुदाद्याः 37 // 829 / / वस्त्र 38 स्त्री 39 शस्त्र 40 मिथ्या 41 मल 42 तनय 43 गुण 44 ध्यान 45 षट्स्थान 46 कामाः 47 / वैयावृत्त्यो 48 पसर्गा 49 स्तृण 50 चरण 51 लिपि 52 ब्रह्म 53 कर्मा 54 ष्ट (ब्द) 55 भाषाः 56 // शय्या 57 मानादि 58 सामायिक 59 करण 60 . नमस्कार 61 कल्पां 62 क 63 लोकाः 64 / 213