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________________ रूयगनलियाजोगप्पओगदिटुंतसब्भावा // 582 // सव्ववयाण वि भूसाकरणं सीलं जिणेहिं निद्दिटुं।। न चलंति विसयहालाहलेण जे ते महासत्ता // 583 // 192 वसाह 1 कह नासाज 2 / 550- 13 .....:. . . अइमायाहार 8 भूसण 9 नवगुत्ती बंभचेरस्स // 574 // '. जो देइ कणयकोडी अहवा कारेइ कणयजिणभवणं / तस्स न तत्तिय पुण्णं जत्तिय बंभव्वए थरिए // 575 // . सीलं कुलआहरणं सीलं रूवाण उत्तमं रूवं / सीलं चिय पंडित्तं सीलं चिय निरूवमं धम्म // 576 // सीलं उत्तमवित्तं सीलं कल्लाणकारणं परमं / सीलं सुगइनिमित्तं सीलं आयारनिहिठाणं // 577 // जइ ठाणी जइ मोणी जइ मुंडी वक्कली तवस्सी वा / पत्थंतो वि अबंभं बंभा वि न रोयए मज्झं . // 578 // इत्थीण जोणिमज्झे गब्भगया चेव हुँति नवलक्खा / इक्को व दो व तिण्णि व गब्भपुहुत्तं च उक्कोसं // 579 // इत्थीण जोणिमझे हवंति बेंदिया असंखा य / उप्पज्जंति चयंति य समुच्छिमा जे ते असंखा // 580 // उउकाले ते सव्वे पायं पावाण जीवभवणं च / तम्हा जे धीरनरा धरंति बंभव्वयं लटुं त्थीसंभोगे समगं तेसिं जीवाण हुंति उद्दवणं / रूयगनलियाजोगप्पओगदिटुंतसब्भावा // 582 // सव्ववयाण वि भूसाकरणं सीलं जिणेहिं निद्दिटुं। न चलंति विसयहालाहलेण जे ते महासत्ता // 583 // 192
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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