________________ त्थीसंगरूवपासण-पभिइसव्वं मुणीण पडिसिद्धं / अत्तहियसुविहियाणं बंभं तणुभूसणं परमं // 584 // जहा कुक्कुडपोयस्स निच्चं कुललओ भयं / एवं खु बंभयारिस्स त्थीसंगाओ महाभयं // 585 // पुरिसासणम्मि इत्थी जामतिगं जाव नोपवेसेइ / त्थीआसणम्मि पुरिसो अंतमुहुत्तं विवज्जिज्जा // 586 // अबंभचरियं घोरं परिया चेव दारूणं / तम्हा मेहुणसंसग्गिं निग्गंथा वज्जयंति णं // 587 // भंडोवगरणदेह-प्पभिईसु गामदेससंघेसु / नो कुन्विज्ज ममत्तं कया वि सो समणगुणजुत्तो // 588 // दव्वाईचउव्विहेसु परिग्गहेसु न करेइ पडिबंधं / वंदणपूयणसक्कारे सरिसो माणावमाणेसु // 589 // दव्वाईचउव्विहेहिं असणाईसु चउविहेसु सव्वेसु / नो संनिहिपबंधं कुव्वइ भिक्खू वि कारणओ // 590 // निच्चं सज्झायरया सुहझाणा एवमाइगुणकलिया / विहरंति जत्थ निययं तं मुणिगच्छं सुविहियं च // 591 // जत्थ गणे आयरिओ उवज्झाया थिरपवत्तया मुणिणो / रायणिया पंचा वि हु गुणरयणविभूसिया गच्छे // 592 // कत्थ अम्हारिसा जीवा दूसमादोसदूसिया / हा अणाहा कहं हुंता न हुँतो जइ जिणागमो // 593 // . पवयणरयणनिहाणा सूरिणो जत्थ नायगा भणिया / संपइ सव्वं धम्मं तयहिट्ठाणं जओ भणियं // 594 // कइया वि जिणवरिंदा पत्ता अयरामरं पहं दाउं / आयरिएहिं पवयणं धारिज्जइ संपयं सयलं // 595 // 193